डीएनए हिंदी: कोरोना वायरस (Corona Virus) महामारी की दूसरी लहर में पिछले साल देशभर में हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. कई परिवार पूरी तरह तबाह हो गए. एक संसदीय समिति का मानना है कि इस स्थिति से बचा जा सकता था और यदि समय रहते कंटेनमेंट योजनाओं को लागू किया गया होता तो हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती थी.
समिति ने इसके लिए केंद्र सरकार को भी निशाने पर लिया है और कहा है कि सरकार ने कोविड-19 (Covid-19) महामारी से बने हालात की गंभीरता का सही आकलन नहीं किया.
पढ़ें- Dog Attacks: केरल में 5 साल में 8 लाख लोगों को कुत्तों ने काटा, Supreme Court से Dog Hunting की परमिशन लेगी सरकार
स्वास्थ्य मामलों की संसदीय समिति ने दी है रिपोर्ट
स्वास्थ्य मामलों की स्थायी संसदीय समिति (Parliamentary Standing Committee on Health) ने सोमवार को राज्य सभा में अपनी 137वीं रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 की दूसरी लहर बेशक बहुत ज्यादा संक्रमित मामलों, अस्पतालों में बेड व ऑक्सीजन की किल्लत, आवश्यक दवाइयों की कम सप्लाई, आवश्यक हेल्थ केयर सेवाओं में व्यवधान, सिलेंडरों व दवाओं की ब्लैक मार्केटिंग के कारण भयावह साबित हुई.
पढ़ें- चुनाव लड़ने का हक संविधान से मिला मौलिक अधिकार नहीं, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा
सरकार पहले ही कदम उठाती तो कम जानें जातीं
PTI के मुताबिक, रिपोर्ट में आगे कहा गया कि समिति की नजर में यदि सरकार शुरुआती स्टेज में ही वायरस के ज्यादा घातक स्ट्रेन की जनता में पहचान करने में सफल रहती और इसके बाद उचित कंटेनमेंट स्ट्रेटजी को लागू करती, तो महामारी का कहर कम घातक होता और ज्यादा जानें बचाईं जा सकती थीं.
पढ़ें- Loan App Fraud: गंदा है पर धंधा है ये, जानिए कैसे काम कर रहे ये रैकेट, चीन का क्या है इसमें रोल
दुनिया के सबसे ज्यादा कोविड केसों वाले देशों में से एक हैं हम
समिति का मानना है कि भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है, जिनमें कोविड-19 केस का बोझ सबसे ज्यादा रहा है. देश की आबादी की विशालता महामारी के खिलाफ लड़ाई एक बड़ी चुनौती साबित हुई है. समिति के मुताबिक, कमजोर स्वास्थ्य ढांचे और स्वास्थ्य कर्मियों की बड़ी कमी के चलते देश को एक अभूतपूर्व दबाव का सामना करना पड़ा.
पढ़ें- छापेमारी में जिन पैसों को जब्त करती है ED और CBI उसका क्या होता है?
सरकार नहीं लगा सकी हालात का उचित अनुमान
समिति ने यह भी कहा है कि सरकार महामारी और इसकी संभावित लहरों के दोबारा असरकारी होने की गंभीरता का सटीक अनुमान नहीं लगा सकी. साथ ही समिति ने यह भी कहा है कि पहली लहर के बाद जब देश में नए मामलों के ग्राफ में गिरावट दर्ज की गई, तब भी सरकार को कोविड-19 के दोबारा असर दिखाने और देश में इसके संभावित कहर को रोकने के लिए लगातार मॉनीटरिंग के प्रयास जारी रखने चाहिए थे.
पढ़ें- कहीं गुजरात में सपनों के सौदागर ही न रह जाएं अरविंद केजरीवाल, क्या गुजरात में पांव जमा सकेगी AAP?
राज्यों ने भी की लापरवाही, 5 लाख लोगों की हो गई मौत
समिति ने यह भी कहा है कि राज्यों ने भी भारी लापरवाही दिखाई. समिति ने नोट किया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को अपने यहां सतर्कता जारी रखने को कहा था. साथ ही उन्हें अपने इलाकों में कोविड-19 के दोबारा असर दिखाने की स्थिति से निपटने के लिए स्ट्रेटजी बनाने का भी निर्देश दिया था.
समिति ने इसे लेकर बेहद नाराजगी जताई है कि इस सबके बावजूद ज्यादातर राज्य कोविड-19 की दूसरी लहर में मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति से निपटने में असफल रहे, जिसके चलते 5 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड मौत दर्ज करनी पड़ी है.