Rafale Jet: दिसंबर में होने वाला है राफेल विमान से जुड़ा ये खास काम, Indian Air Force की बढ़ेगी ताकत

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 09, 2022, 09:14 PM IST

Rafale Fighter Jet. (File Pic)

दिसंबर महीने में फ्रांस की तरफ से भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) को आखिरी राफेल विमान की भी डिलीवरी दे दी जाएगी.

डीएनए हिंदी: भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) को फ्रांस (France) के साथ हुए समझौते के तहत 36वां और आखिरी राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jet) भी दिसंबर महीने में मिल जाएगा. साल 2016 में हुई 60,000 करोड़ रुपये की राफेल डील (Rafale Deal) के तहत फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) आखिरी विमान दिसंबर महीने में भारत को सौंपेगी. 

एक सीनियर डिफेंस ऑफिशियल के मुताबिक, आखिरी विमान 15 दिसंबर को भारत आ जाएगा. यह वही विमान है, जिसका इस्तेमाल मूल राफेल विमान को भारतीय जरूरतों के हिसाब से ढालने के लिए डेवलपमेंट से जुड़ी एक्टिविटिज में किया गया था. इस विमान का टेल नंबर RB है, जो राफेल विमान की डिलीवरी शुरू होने के समय भारतीय वायुसेना के तत्कालीन प्रमुख एयरचीफ मार्शल राकेश भदौरिया (Air Chief Marshal Rakesh Bhaudria) के सम्मान में लिखा गया था.

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35 विमान मिल चुके हैं अब तक

ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को अब तक इस डील के तहत 36 में से 35 विमान मिल चुके हैं, जिन्हें हरियाणा के अंबाला एयरफोर्स स्टेशन (Ambala Air Force Station) और पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयर बेस (Hashimara Air base) पर पाकिस्तान व चीन के खतरे से निपटने को तैनात किया गया है. 

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पहले मिल चुके विमान भी होंगे अपग्रेड

इस आखिरी विमान को मिलने के साथ ही भारतीय वायुसेना के पास पहले से मौजूद राफेल विमान भी अपग्रेड हो जाएंगे. इसे भारतीय वायुसेना को सौंपने से पहले फ्रांस इसके इस्तेमाल हो चुके सभी स्पेयर व अन्य पार्ट्स बदलेगा. साथ ही वे स्पेयर पार्टस भी साथ में सौंपेगा, जो राफेल विमान को भारतीय परिस्थितियों में ज्यादा उपयोगी बनाने और उच्चतम मानकों पर खरा उतरने में मदद देंगे.

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भारतीय उपमहाद्वीप में नहीं इसके बराबर का विमान

राफेल 4.5 जनरेशन का लड़ाकू विमान है, जिसके बराबर टक्कर वाला विमान भारतीय उपमहाद्वीप के आसमान में नहीं है. इससे भारतीय वायुसेना को उपमहाद्वीप के आसमान में अपनी सुप्रीमेसी बनाने में मदद मिलेगी. इस विमान में लंबी दूरी तक हवा से हवा में और हवा से मैदानी टारगेट पर वार करने वाली मिसाइल लगी हैं. 

भारतीय वायुसेना ने भी विमान में जल्दी फायर होने वाली लॉन्ग रेंज मीटियोर एयर-टू-एयर मिसाइल (Meteor Missile) के साथ-साथ एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलों को भी इस विमान में जोड़ा है. साथ ही राफेल के हथियारों में हैमर मिसाइल (Hammer Missile) भी शामिल की गई है, क्योंकि इस विमान का इस्तेमाल छोटी दूरी पर सटीक हमलों में भी किया जाएगा. साथ ही एडवांस्ड राडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमता भी इस विमान की खासियत हैं. इस विमान की 75% मेंटिनेंस में दसॉल्ट एविएशन भी शामिल रहेगी.

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चीन से गतिरोध के समय आया था काम

राफेल विमान को भारतीय वायुसेना में शामिल करने का काम उस समय शुरू किया गया था, जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गतिरोध चरम पर था. इसके चलते भारत पहुंचने के एक सप्ताह बाद ही राफेल विमान को लद्दाख में तैनात कर दिया गया था. इससे चीनी सेना पर दबाव बढ़ाने में बेहद मदद मिली थी और युद्ध की तरफ बढ़ा टकराव थोड़ा सामान्य हुआ था. 

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