डीएनए हिंदी: घर-घर में स्टेट्स सिंबल बने कुत्तों के काटने की घटनाएं अचानक तेजी से बढ़ गई हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन साल में करीब 1.5 करोड़ लोग कुत्तों के काटने का शिकार बन चुके हैं. इसके चलते लगातार उस कानून (Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960) पर सवाल उठ रहे हैं, जिसके चलते आवारा कुत्तों को मारने पर पाबंदी है.
अब केरल (Kerala) राज्य सरकार ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है. दरअसल केरल में पिछले 5 साल के दौरान 8 लाख लोग कुत्तों के काटने का शिकार हो चुके हैं. राज्य सरकार का कहना है कि कुत्तों को पकड़कर दूसरी जगह छोड़ना इस समस्या का समाधान नहीं है, इसलिए वह शीर्ष अदालत से कुत्तों को मारने की इजाजत मांगेगी.
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केरल में हर साल 1.5 लाख लोगों को काटते हैं कुत्ते
केरल के स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों को देखा जाए तो राज्य में हर साल औसतन 1.5 लाख लोगों डॉग बाइट (Dog Bites) का शिकार बनते हैं. साल 2018 में 1,48,899, साल 2019 में 1,61,055, साल 2020 में 1,60,483, साल 2021 में 2,21,379 और साल 2022 में अब तक 8 महीने में ही 1.21 लाख लोग कुत्तों का शिकार बन चुके हैं.
इसी कारण राज्य सरकार के मंत्री एमबी राजेश (MB Rajesh) ने सोमवार को एक इंट्रा डिपार्टमेंट्स मीटिंग के बाद सुप्रीम कोर्ट जाने की जानकारी दी. राजेश ने कहा कि इस गंभीर स्थिति के कारण हम सुप्रीम कोर्ट से कुत्तों को मारने की इजाजत मांग रहे हैं, इसके अलावा राज्य सरकार 20 सितंबर से अगले एक महीने तक एंटी रैबीज वैक्सीनेशन अभियान भी चलाएगी. इसके लिए स्थानीय प्रशासन और स्वयं सहायता समूहों की मदद ली जा रही है. इस अभियान में कुत्ता काटने के हॉट स्पॉट भी चिह्नित किए जाएंगे.
पूरे देश के हाल हैं कुछ ऐसे
भारत में पिछले तीन साल के दौरान ही 1.5 करोड़ लोग कुत्तों के काटने का शिकार हुए हैं. सरकार की तरफ से संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, साल 2019 से जुलाई 2022 के बीच करीब 1.5 करोड़ लोग जानवरों के काटने का शिकार हुए हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले साल 2019 में सामने आए, जब करीब 72.77 लाख लोगों को कुत्ते ने काट लिया. वहीं, साल 2020 में 46.33 लाख और 2021 में 17 लाख लोगों को कुत्ते काट चुके हैं. इस साल यानी 2022 में भी पहले सात महीने के दौरान ही 14.50 लाख लोगों को कुत्तों ने काटा है. सरकार के मुताबिक, सबसे ज्यादा आवारा कुत्ते उत्तर प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं. हालांकि जानवरों के काटने के सबसे ज्यादा मामले इस साल अभी तक तमिलनाडु और महाराष्ट्र में सामने आए हैं.
इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में उठा है केरल का मुद्दा
केरल में कुत्तों के काटने के कारण उन्हें मारने का मुद्दा इससे पहले भी एक बार सुप्रीम कोर्ट में उठ चुका है. साल 2016 में आवारा कुत्तों को मारने के लिए एक जागरूकता समूह ने स्थानीय लोगों में सस्ती एयरगन वितरित करना शुरू किया था. साथ ही समूह के मेंबर्स ने खुद भी कुत्तों को मारना शुरू किया था. इसके खिलाफ कुछ डॉग लवर्स ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. तब सुप्रीम कोर्ट ने इन समूहों को चेतावनी दी थी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि मानवीय जिंदगी को किसी भी जानवर की जिंदगी से बड़ा नहीं माना जा सकता है.
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देश में हर साल
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा रेबीज से मौत भारत में होती हैं. हर साल करीब 18000-20000 लोगों की मौत हो जाती है, जो दुनिया की कुल मौतों का करीब 36 फीसदी है. इनमें 30 से 60 फीसदी तक मरने वाले 15 साल तक की उम्र के बच्चे होते हैं.
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