डीएनए हिंदी: कर्नाटक के हिजाब बैन (Hijab ban) पर चल रहा विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खत्म होने की उम्मीद लगाई जा रही थी, लेकिन बृहस्पतिवार को दो जजों की बेंच का 'बंटा' हुआ फैसला आने पर यह संभावना फिलहाल धूमिल हो गई है. अब यह मामला चीफ जस्टिस यूयू ललित (Chief Justice UU Lalit) की तरफ से तीन जजों की बड़ी बेंच को दिया जाएगा. इस बीच सुप्रीम कोर्ट के बंटे हुए फैसले के बाद ये सवाल खड़े हो गया है कि बड़ी बेंच का फैसला आने तक कर्नाटक सरकार की तरफ से लगाए गए हिजाब बैन का क्या होगा?
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बरकरार रहेगा बड़ी बेंच के फैसले तक हिजाब बैन
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हिंदू सेना की तरफ से पेश हुए एडवोकेट बरूण सिन्हा ने दावा किया है कि यह हिजाब बैन जारी रहेगा. ANI से बातचीत में सिन्हा ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के बंटे हुए फैसले को देखते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट की तरफ से इस मामले में दिया गया फैसला ही लागू रहेगा. यह फैसला अंतरिम निर्णय के तौर पर लागू रहेगा, जिस पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच सुनवाई के दौरान निर्णय ले सकती है.
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बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद हिजाब को इस्लाम में अनिवार्य नहीं माना था और स्कूल-कॉलेजों में सरकार के हिजाब बैन को बरकरार रखा था. हाई कोर्ट ने कहा था कि स्कूल-कॉलेजों में तय यूनिफॉर्म ही पहनकर आनी चाहिए. इस फैसले को ही सु्प्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
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10 दिन लगातार सुनवाई की थी सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर जस्टिस हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) और जस्टिस सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) की डबल बेंच ने 10 दिन तक लगातार सुनवाई की थी. इसके बाद 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे बृहस्पतिवार को सुनाया गया है. बृहस्पतिवार को सुनाए गए फैसले में जहां जस्टिस हेमंत गुप्ता ने अपील के खिलाफ 11 सवाल अपने आदेश में पेश किए, जिनका जवाब भी खुद दिया. उन्होंने कहा, इन सभी सवालों के जवाब याचिकाओं के खिलाफ हैं, इसलिए अपीलों को मैं खारिज कर रहा हूं.
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जस्टिस धूलिया ने हाई कोर्ट को माना गलत
जस्टिस धूलिया ने अपने साथी जज के विपरीत इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले को गलत माना. उन्होंने व्यक्तिगत पसंद की प्रधानता का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, हाई कोर्ट ने गलत राह अपनाई. हाई कोर्ट के फैसले को अनुच्छेद 19 (1) (ए) और अनुच्छेद 25 (1) के आधार पर परखा जाना चाहिए. यह धार्मिक प्रथाओं के सिद्धांत के बजाय पसंद का मामला है.
जस्टिस धूलिया ने कहा कि मेरे मन में सबसे बड़ा सवाल बालिका शिक्षा को लेकर है. क्या इस अतिरिक्त प्रतिबंध से उनका जीवन बेहतर होगा? मेरे दिमाग में यह फैसला करते हुए सबसे अहम सवाल लड़कियों की शिक्षा का है. इस कारण मैंने सभी अपीलों को स्वीकार कर लिया है और 5 फरवरी के सरकारी आदेश को रद्द करते हुए प्रतिबंधों को हटाने का आदेश दिया है.
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