डीएनए हिंदी: पश्चिम बंगाल में विधानसभा ने सोमवार को केंद्रीय जांच एजेंसियों की ज्यादतियों के खिलाफ नियम 169 के तहत निंदा प्रस्ताव पारित किया. इसे 'केंद्रीय जांच एजेंसियों की अधिकता' के खिलाफ प्रस्ताव के नाम से पारित किया गया. इस प्रस्ताव पर करीब 2 घंटे तक बहस हुई.
इसे CBI और ED के शिकंजे में तृणमूल कांग्रेस के कई मंत्रियों वे वरिष्ठ नेताओं की गर्दन फंसने का जवाब माना जा रहा है. TMC ने जहां इस प्रस्ताव को उचित बताया है, वहीं विपक्षी दल भाजपा (BJP) ने इसे संविधान के खिलाफ बताकर राज्य सरकार को घेरने की कोशिश की है.
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ममता बनर्जी ने कहा- मोदी नहीं अन्य भाजपा नेता कर रहे दुरुपयोग
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) ने विधानसभा में प्रस्ताव पारित होने के दौरान भाजपा पर निशाना साधा. हालांकि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पर आरोप लगाने से बचती दिखाई दीं. ममता ने कहा, मुझे नहीं लगता कि सीबीआई और ईडी का दुरुपयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं.
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उन्होंने कहा, भाजपा के कुछ अन्य नेता हैं, जो इन जांच एजेंसियों का उपयोग अपने हितों के लिए कर रहे हैं. ममता ने कहा, मैं पीएम मोदी से सरकार और पार्टी के कामकाज को अलग-अलग रखना सुनिश्चित करने का आग्रह करती हूं. यह देश के लिए अच्छा नहीं होगा.
क्या यह ममता की नई रणनीति है!
मोदी पर आरोप लगाने से बचने को ममता बनर्जी की नई रणनीति माना जा रहा है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ममता ने इस बयान के जरिए मोदी के बजाय अमित शाह (Amit Shah) और सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) पर निशाना साधन की कोशिश की है. माना जाता है कि मोदी पर आरोप लगाने का लाभ भाजपा को मिलता है. इसी कारण ममता ने उन्हें सीधे तौर पर इस मसले में नहीं घेरा है.
क्या कहा गया है निंदा प्रस्ताव में
निंदा प्रस्ताव में कहा गया है कि विभिन्न केंद्रीय जांच एजेंसियां राज्य में मुख्य विपक्षी दल भाजपा के आरोपी विधायकों और नेताओं के प्रति नरमी दिखा रही हैं, जबकि सत्ता पक्ष के नेताओं, सांसदों, विधायकों को जानबूझकर परेशान और गिरफ्तार किया जा रहा है. यह राज्य सरकार को अस्थिर करने की साजिश के तहत हो रहा है. केंद्र सरकार और उसकी सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने निरंकुश रवैया अपनाया हुआ है. इसी कारण कई वरिष्ठ विधायकों को बिना अनुमति लिए ही चार्जशीट दाखिल कर दी गई है.
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निंदा प्रस्ताव पर किसने क्या कहा
राज्य सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा, प्रस्ताव पास होने का कारण है कि केंद्रीय एजेंसियों पर निष्पक्षता से काम करने का दबाव बनाया जाए. बंगाल में केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है, जो गलत है. इसके ख़िलाफ विधायकों ने आज वोट दिया है. हम जांच के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जांच का निष्पक्ष होना ज़रूरी है.
विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा, ये प्रस्ताव संवैधानिक नहीं है. जैसे बंग नाम का कार्यान्वयन और विधान परिषद गठन नहीं हुआ, वैसे ही यह प्रस्ताव भी नहीं पूरा होगा. तृणमूल के हर भ्रष्ट नेता को जेल जाना ही होगा.
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