President Of India बनने के लिए याचिका, सुप्रीम कोर्ट बोला- यह न्यायिक प्रक्रिया का अपमान

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 22, 2022, 12:19 AM IST

Representational Image

अपकमिंग चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने याचिकाकर्ता को बैन करने का आदेश भी रजिस्ट्री को दिया है.

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक आदमी को करारी फटकार लगाते हुए उसकी वह याचिका रद्द कर दी, जिसमें उसने शीर्ष अदालत से खुद को देश का राष्ट्रपति नियुक्त किए जाने का आदेश जारी करने की मांग की थी. इस याचिका से नाराज अपकमिंग चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (justice DY Chandrachud) और जस्टिस हिमा कोहली (justice Hima Kohli) की बेंच ने इसे 'छिछोरापन' करार दिया और उसे 'अपमानजनक' बताया. बेंच ने कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया का अपमान है. बेंच ने याचिका खारिज करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री (Supreme Court Registry) को आदेश दिया है कि भविष्य में भी इस याचिकाकर्ता की किसी भी मुद्दे पर कोई अपील स्वीकार नहीं की जाए.

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चुनाव नहीं लड़ने देने के खिलाफ दाखिल की थी याचिका

ANI के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति बनाने की मांग वाली याचिका किशोर जगन्नाथ सावंत (Kishore Jagannath Sawant) ने दाखिल की थी. खुद ही पेश हुए जगन्नाथ का आरोप था कि उसे राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव के दौरान उम्मीदवारी दाखिल करने की इजाजत नहीं दी गई. खुद को पर्यावरणविद् बताने वाले जगन्नाथ ने यह भी कहा कि वह दुनिया में सभी तरह के हालात में काम कर सकता है. 

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सुप्रीम कोर्ट ने लगाई करारी फटकार

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ को फटकार लगाई और कहा कि वह अपनी स्पेशलाइज्ड नॉलेज के आधार पर भाषण दे सकता है, क्योंकि वह एक पर्यावरणविद् है, लेकिन इस तरह से याचिका दाखिल करना उचित नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए रजिस्ट्री को आगे उसकी कोई अपील स्वीकार नहीं करने का आदेश दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही रजिस्ट्री को यह भी आदेश दिया कि इस केस की सुनवाई के रिकॉर्ड से 'अपमानजनक' शब्द को हटा दिया जाए.

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