Pocso Act: बच्ची का दुपट्टा खींचना या गलत इरादे से उसे छूना भी दंडनीय, कोर्ट बोला- धारा 354 भी लगेगी

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 13, 2022, 06:36 PM IST

सांकेतिक तस्वीर

स्पेशल कोर्ट ने अपने फैसले में आरोपी को सजा सुनाते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं लोगों के मन में यह डर पैदा करती हैं कि बच्चे सुरक्षित नहीं हैं.

डीएनए हिंदी: मुंबई में स्पेशल कोर्ट ने नाबालिग लड़की का दुपट्टा खींचने को भी यौन अपराध की श्रेणी में माना है. साथ ही कहा है कि दुपट्टा खींचना और गलत इरादे से हाथ पकड़ना या छूना भी पोक्सो एक्ट (Pocso Act) और IPC की धारा 354 के तहत दंड देने लायक अपराध है. कोर्ट ने कहा कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराध बढ़ रहे हैं. ऐसी घटनाएं लोगों के मन में डर पैदा कर रही हैं कि आसपास का क्षेत्र बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है. ऐसी घटनाएं लंबे समय तक निशान छोड़ती हैं. इस कमेंट के साथ कोर्ट ने 23 साल के आरोपी को तीन साल कैद की सजा सुनाने के साथ ही उस पर 15,000 रुपये जुर्माना भी लगाया है.

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यह था पूरा मामला

एक युवक पर आरोप था कि घर से बाहर सामान लेने निकली तो आरोपी ने उसका दुपट्टा पकड़कर खींचा और यौन इरादे से उसका हाथ पकड़ लिया. पीड़िता के पिता से शिकायत करने की बात कहने पर उसने जान से मारने की धमकी दी. पीड़िता के बताने पर उसके पिता ने मुंबई के माहिम थाने में FIR कराई. इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया. कोर्ट में आरोपी ने पीड़िता के साथ प्रेम संबंध होने का दावा किया, लेकिन कोर्ट ने पीड़िता के नाबालिग होने के कारण इस तर्क को खारिज कर दिया. 

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इस आधार पर परखा गया मुकदमा

स्पेशल जज प्रिया बांकर की कोर्ट में पीड़िता ने आरोपी पर अपने घर के सामने खड़ा होने और पीछा करने का भी आरोप लगाया. कोर्ट ने माना कि इससे आरोपी की अपराध करने की मनोस्थिति स्पष्ट होती है. कोर्ट ने कहा कि पॉक्सो एक्ट की धारा-30 के तहत यह अनुमान लगाने का प्रावधान है कि आरोपी के मन में अपराध करने की मंशा थी. इस स्थिति में आरोपी को ही साबित करना होगा कि उसकी ऐसी मंशा नहीं थी. कोर्ट के मुताबिक, आरोपी यह बात साबित नहीं कर पाया है. 

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इन अपराध के लिए दोषी माना

स्पेशल जज ने आरोपी को IPC की धारा 354 (महिला पर यौन हमला), धारा 506 (आपराधिक धमकी देना और यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट, 2012 की धारा-8 (यौन उत्पीड़न) का दोषी माना. कोर्ट ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि आरोपी ने दंडनीय अपराध किया है. इसी आधार पर कोर्ट ने उसे सजा सुनाई.

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