डीएनए हिंदी: दिल्ली के बाद अब पंजाब में भी 'आम आदमी पार्टी बनाम राज्यपाल' विवाद शुरू हो गया है. पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित (Banwarilal Purohit) के इनकार के बावजूद विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी कर ली है. यह विशेष सत्र 27 सितंबर को आयोजित किया जाएगा.
इसके अलावा मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) के नेतृत्व में आप ने राज्यपाल के खिलाफ पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का भी निर्णय लिया है. हाई कोर्ट से राज्यपाल का विधानसभा सत्र बुलाने से इनकार करने का फैसला खारिज करने की मांग की जाएगी.
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क्या है पूरा विवाद
दरअसल, सीएम भगवंत मान की अगुआई वाली कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई थी. इस विशेष सत्र के आयोजन का मकसद विधानसभा में मान की तरफ से अपना 'विश्वास मत' साबित करना था. राज्यपाल पुरोहित ने विधानसभा सत्र बुलाने की मांग को खारिज कर दिया था.
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राजभवन ने कहा था कि केवल विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए विशेष सत्र बुलाने का कोई विशिष्ट नियम नहीं है. आप की मांग का विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा, कांग्रेस के नेता सुखपाल सिंह खैरा और भाजपा की पंजाब इकाई के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने भी राज्यपाल से संपर्क कर विरोध किया था.
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मान ने कहा- 27 को बुलाएंगे विशेष सत्र
राज्यपाल और विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद बृहस्पतिवार को आप सरकार ने विशेष सत्र के आयोजन की तारीख घोषित कर दी है. राज्य कैबिनेट की बैठक आयोजित की गई, जिसमें फैसला किया गया कि राज्यपाल के सत्र को रद्द करने के फैसले के खिलाफ सरकार हाई कोर्ट का रुख करेगी. बैठक के बाद मान ने एक वीडियो संदेश में कहा, मंत्रिमंडल की बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि विधानसभा का सत्र 27 सितंबर को आयोजित किया जाएगा. इस सत्र में बिजली आपूर्ति और पराली जलाने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी.
बाद में मान ने एक अन्य बयान में कहा कि राज्य सरकार लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों और राज्यों के संघीय अधिकारों की रक्षा के लिए राज्यपाल के 'मनमाने और अलोकतांत्रिक' फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. कैबिनेट बैठक से पहले मान ने आप विधायकों के साथ भी पार्टी की रणनीति को लेकर बैठक की.
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आप विधायकों ने निकाला विरोध मार्च
राज्यपाल के विशेष सत्र की अनुमति नहीं देने के विरोध में आप की पंजाब यूनिट के विधायकों ने विरोध मार्च निकाला. मार्च के दौरान आप विधायकों ने लोकतंत्र की हत्या बंद करो और ऑपरेशन लोटस मुर्दाबाद जैसे नारे लिखीं तख्तियां ले रखी थीं. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और भाजपा पर आपस में मिले होने का आरोप लगाया.
साथ ही विधायकों ने कहा कि दोनों पार्टियों ने राज्य में विधानसभा का विशेष सत्र नहीं होने देने के लिए एक साथ मिलकर काम किया है. पुलिस ने विधायकों को राजभवन की ओर बढ़ने से रोक दिया. पुलिस ने इसके लिए विधानसभा परिसर से लगभग एक किलोमीटर दूर तक के दायरे में अवरोधक लगा दिए.
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भाजपा ने किया सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
भाजपा ने भी मान सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया. भाजपा कार्यकर्ता भगवंत मान के आधिकारिक आवास का घेराव करने जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच में ही रोक लिया. जुलूस को पानी की बौछारों से तितर-बितर कर दिया गया. साथ ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा और सुनील जाखड़ सहित कई नेताओं को हिरासत में ले लिया. हालांकि बाद में इन्हें रिहा कर दिया गया. भाजपा ने आप सरकार पर सभी मोर्चों में विफल रहने और ज्वलंत मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने का आरोप लगाया.
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मुख्यमंत्री ने दिया भाजपा को जवाब
भाजपा के प्रदर्शन के जवाब में मुख्यमंत्री मान ने पार्टी पर ऑपरेशन लोटस का समर्थन करने का आरोप लगाया. साथ ही कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा, यह विडंबना है कि ऐसी अलोकतांत्रिक कार्रवाई की सबसे बड़ी शिकार कांग्रेस खुद भाजपा के साथ खड़ी है. उन्होंने कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और भाजपा पर एकसाथ मिले होने और लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया.
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