Azam Khan की विधायकी खत्म करने की क्या थी जल्दी, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और चुनाव आयोग से पूछा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 07, 2022, 07:41 PM IST

आजम खान 

आजम खान को हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने झटका भी दिया है. उनके बेटे अब्दुल्ला के उम्र विवाद में 2017 चुनावी जीत रद्द करने का फैसला सही ठहराया है.

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सपा नेता आजम खान (Azam Khan) की विधानसभा सदस्यता खत्म करने को लेकर दिखाई जल्दबाजी पर हैरानी जताई है. शीर्ष अदालत ने आजम की याचिका पर इस मामले में सोमवार को सुनवाई की. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) और चुनाव आयोग (Election Commision of India) से पूछा कि आखिर आजम की विधायकी खत्म करने की इतनी जल्दबाजी क्यों थी? कोर्ट ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. उधर, आजम खान को इस मामले में हल्की राहत मिलने के बाद शीर्ष अदालत से ही एक करारा झटका भी मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान (Abdulla Azam Khan) के उम्र विवाद में उनका साल 2017 का विधानसभा निर्वाचन रद्द किए जाने को सही ठहराया है.

पढ़ें- Morbi Bridge Collapse: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को भेजा नोटिस, 8 दिन में मांगी रिपोर्ट

आजम को भड़काऊ भाषण में मिली है सजा

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के दिग्गज नेता आजम खान को 27 अक्टूबर को भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी ठहराया गया था. साल 2019 के इस मामले में रामपुर की एमपी-एमएलए (सांसद-विधायक) अदालत (Rampur Court) ने उन्हें 3 साल जेल की सजा सुनाई थी. साथ ही उन्हें आगे अपील करने के लिए जमानत भी दे दी गई थी. इस सजा के आधार पर 28 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने आजम की विधानसभा सदस्यता अयोग्य घोषित कर दी थी. यूपी विधानसभा के प्रमुख सचिव ने बताया था कि विधानसभा सचिवालय ने आजम खान की विधायकी रद्द करने के साथ ही रामपुर सदर सीट को रिक्त घोषित कर दिया है.

पढ़ें- 'अगर मैं महाठग तो सत्येंद्र जैन ने मुझसे क्यों लिए 50 करोड़?' सुकेश चंद्रशेखर ने फिर फोड़ा लेटर बम!

इतनी तेजी से सुप्रीम कोर्ट भी हुआ हैरान

विधानसभा सदस्यता छीने जाने के खिलाफ आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर सोमवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की. बेंच ने आजम खान की विधायकी छीनने पर हैरानी जताई. बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद से सवाल किया कि आजम को अयोग्य ठहराने की क्या जल्दी थी? आपको कम से कम उन्हें कुछ मोहलत देनी चाहिए थी. इस पर प्रसाद ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने निर्णय के अनुरूप बताया. बेंच ने इसके बाद प्रसाद को आजम की याचिका पर राज्य सरकार से जवाब लेकर दाखिल करने का आदेश दिया. साथ ही प्रसाद को जवाब दाखिल करने का नोटिस निर्वाचन आयोग के स्थायी अधिवक्ता तक पहुंचाने का निर्देश भी दिया.

पढ़ें- MCD Election: मनोज तिवारी ने रिकॉर्ड किया बीजेपी का चुनावी कैंपेन सॉन्ग, हरदीप सिंह पुरी करेंगे रिलीज

आजम की सदस्यता छीनी, भाजपा विधायक घूम रहे स्वतंत्र

आजम खान की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता व कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम पेश हुए. चिदंबरम ने अदालत को बताया कि मुजफ्फरनगर जिले की खतौली विधानसभा सीट के भाजपा विधायक विक्रम सैनी को भी 11 अक्टूबर को दोषी ठहराने के बाद दो साल की सजा मिल चुकी है. इसके बावजूद वे अब भी विधायक हैं और उनकी अयोग्यता पर कोई फैसला नहीं हुआ है.

चिदंबरम ने कहा, आजम के मामले में सरकार इतनी जल्दबाजी में है कि रामपुर सदर सीट पर उपचुनाव भी करने की तैयारी हो गई है. इसके लिए भारतीय निर्वाचन आयोग 10 नवंबर को नोटिफिकेशन जारी करेगा.

पढ़ें- Gujarat Election 2022: क्रिकेटर रवींद्र जडेजा के लिए धर्मसंकट, पत्नी और बहन आमने-सामने लड़ेंगी चुनाव!

कोर्ट ने पूछा- भाजपा विधायक पर कार्रवाई क्यों नहीं

चिदंबरम की दलील सुनने के बाद बेंच ने दोबारा अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद से सवाल किया. बेंच ने इस बात का जवाब दाखिल करने के लिए कहा कि खतौली विधानसभा सीट केस में अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गई? सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अब 13 नवंबर को सुनवाई करेगा. 

पढ़ें- By Election Result: भाजपा ने 7 में से 4 सीट जीतीं, क्या मिल रहा इससे इशारा, 8 पॉइंट्स में जानिए

अब्दुल्ला आजम को दो बर्थ सर्टिफिकेट पर लगा झटका

उधर, सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान को एक झटका भी दिया है. सोमवार को शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम खान का साल 2017 में विधानसभा निर्वाचन खारिज कर दिया गया था. जस्टिस अजय रस्तौगी और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने इस मामले में 20 सितंबर को फैसला सुरक्षित रखा था. दरअसल अब्दुल्ला आजम के दो बर्थ सर्टिफिकेट सामने आए हैं. 

पढ़ें- Himachal Election: कांग्रेस में न नेता, न नेतृत्व, जनता बदलेगी रिवाज- जयराम ठाकुर

पढ़ें- Himachal Election 2022: आधी आबादी को लुभाने पर टिकी कांग्रेस की निगाह, रैली में सीधे महिलाओं के पास पहुंची प्रियंका गांधी वाड्रा

जनवरी 2019 में रामपुर के भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने दावा किया जा रहा है कि साल 2017 में विधानसभा चुनाव के समय उनकी उम्र 25 वर्ष नहीं थी, इसलिए उन्होंने स्वार सीट से दाखिल नामांकन पत्र में गलत जन्मतिथि दर्ज की थी. आकाश ने गंज पुलिस थाने में अब्दुल्ला के खिलाफ FIR भी दर्ज कराई थी.  दिसंबर 2019 में हाई कोर्ट ने इस आधार पर उनका निर्वाचन रद्द कर दिया था. इसके बाद रामपुर की एक अदालत ने आजम खान और उनकी पत्नी को अब्दुल्ला का फर्जी बर्थ सर्किफिकेट पेश करने के लिए जेल भेज दिया था. निर्वाचन रद्द करने के खिलाफ अब्दुल्ला आजम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. अब्दुल्ला साल 2022 के विधानसभा चुनाव में फिर से स्वार विधानसभा से विधायक चुने जा चुके हैं. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर. 

mla azam khan samajwadi party