Twitter नहीं मान रहा भारतीय कानून, जानिए केंद्र सरकार ने कितने पेज में दिए कोर्ट को सबूत

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 02, 2022, 06:04 PM IST

Twitter की तरफ से कर्नाटक हाईकोर्ट में केंद्र सरकार के खिलाफ एक याचिका दाखिल की गई थी. इस याचिका में माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट ने 39 खबरों के लिंक ब्लॉक करने के आदेश को चुनौती दी है.

डीएनए हिंदी: देश में करीब 2.36 करोड़ लोगों की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधि होने का दावा करने वाले माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर (Twitter) को भारतीय कानून पसंद नहीं है. ट्विटर अब भी 'जानबूझकर' देश के कानून का पालन नहीं कर रहा है और असहयोग का रवैया अपनाए हुए है. 

यह बात केंद्र सरकार ने कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) से कही है. केंद्र ने हाईकोर्ट से यह भी कहा है कि ट्विटर भारत में काम करने के बावजूद देश की सुरक्षा में सहयोग नहीं कर रहा है. केंद्र ने कहा है कि इंटरनेट यूज करने वाले 84 करोड़ भारतीयों को एंटी-इंडिया प्रोपेगेंडा, फेक न्यूज और हेट स्पीच कंटेंट से बचाना सरकार की जिम्मेदारी है.

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ट्विटर ने केंद्र सरकार के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी. इस याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र से उसका पक्ष पूछा था. इस मामले में 8 सितंबर को बहस की शुरुआत होनी है.

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101 पेज में दाखिल किया है केंद्र ने जवाब

PTI के मुताबिक, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (MeitY) ने गुरुवार को हाईकोर्ट में ट्विटर के खिलाफ जवाब दाखिल किया है. पॉलिटिकल ट्वीट्स को रोकने के लिए कहे जाने के ट्विटर के दावे को केंद्र ने खारिज किया है. केंद्र ने कहा है कि उसकी तरफ से केवल अनवैरीफाइड अकाउंट्स से होने वाले ट्वीट ब्लॉक करने का निर्देश दिया गया है. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट से याचिका को खारिज करने की मांग की है. 

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39 URL ब्लॉक करने के आदेश के खिलाफ कोर्ट गया है ट्विटर

ट्विटर ने याचिका में केंद्र सरकार की तरफ से 39 न्यूज यूआरएल ब्लॉक करने के ऑर्डर को चुनौती दी थी. याचिका में ट्विटर ने दावा किया है कि सरकार के किसी ट्वीट के लिए टेकडाउन नोटिस (takedown notice) मिलने पर अभिव्यक्ति की आजादी (freedom of speech) प्रभावित होती है. टेकडाउन नोटिस जारी करने से पहले सरकार इस प्लेटफार्म पर कंटेंट पोस्ट करने वाले लोगों को नोटिस नहीं देती है. 

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हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि ट्विटर एक इंटरमीडिएटरी प्लेटफॉर्म है, इसलिए अपने यूजर्स को जानकारी देने की जिम्मेदारी उसकी है. केंद्र ने हाईकोर्ट में दाखिल जवाब में कहा है कि जब भी शांति व्यवस्था से जुड़ा मुद्दा उठता है तो इस पर कार्रवाई के लिए प्लेटफॉर्म नहीं, सरकार जिम्मेदार है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा या शांति व्यवस्था के लिए चुनौती पैदा करने वाले कंटेंट पोस्ट करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए, यह सुनिश्चित करना प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी है.

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ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की हर पॉलिसी IT Act के दायरे में

केंद्र ने जवाब में स्पष्ट किया है कि किसी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की निजी नीति या नियम इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट-2000 (IT Act-2000) के दायरे में आता है. देश में सेवाएं देने वाला कोई भी विदेशी प्लेटफॉर्म यह दावा नहीं कर सकता कि भारतीय कानून या नियम उसके ऊपर लागू नहीं होते. ऐसे दावे का कोई वैधानिक आधार नहीं है.

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ट्विटर नहीं मांग सकता अनुच्छेद-21 के तहत राहत

केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट से कहा है कि ट्विटर भारतीय नागरिक को दी जाने वाली किसी राहत के दायरे में नहीं आता, इसलिए उसकी याचिका खारिज की जाए. केंद्र ने कहा, आर्टिफिशियल कानूनी संस्थाओं पर संविधान का अनुच्छेद-21 लागू नहीं होता. कोई विदेशी कॉमर्शियल कंपनी भी इसी दायरे में है. 

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