यूनिफॉर्म सिविल कोड पर जनता की राय मांग रहा विधि आयोग, यहां जानिए अपने विचार बताने का तरीका

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 15, 2023, 06:48 AM IST

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Uniform Civil Code: 22वें विधि आयोग ने यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर आम जनता और धार्मिक संगठनों से उनकी राय मांगी है.

डीएनए हिंदी: यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) यानी समान नागरिक संहिता बीते चार-पांच सालों से खूब चर्चा में है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित कुछ राज्यों और केंद्र में भी इस पर एक कानून लाने की तैयारी हो रही है. इसीलिए केंद्रीय विधि आयोग ने अपने आम लोगों और धार्मिक संगठनों की राय मांगी है. इसके लिए बाकायदा आधिकारिक ईमेल आईडी भी जारी की गई है. चर्चा है कि केंद्र की मोदी सरकार विधि आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही यूनिफॉर्म सिविल कोड से जुड़ा कानून लाने की तैयारी में है.

साल 2018 में भी विधि आयोग ने इसी तरह से जनता की राय मांगी थी लेकिन उस पर कोई कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पाई. अब विधि आयोग ने फिर से एक प्रयास किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 21वें विधि आयोग की रिपोर्ट आने के बाद अब 22वां विधि आयोग यूनिफॉर्म सिविल कोड पर एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है.

UCC पर कैसे भेजें अपनी राय?
विधि आयोग के मुताबिक, 30 दिन के भीतर आम जनता और धार्मिक संगठन इस पर अपनी राय दे सकते हैं. इसके लिए विधि आयोग ने एक आधिकारिक ईमेल आईडी- membersecretary-ici@gov.in  जारी की है. इस विधि आयोग की अगुवाई कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रितु राज त्रिपाठी कर रहे हैं. आयोग की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि पिछली बार मांगी गई राय के 3 साल से ज्यादा हो चुके हैं ऐसे में नए सिरे से काम करना जरूरी है.

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साल 2018 में विधि आयोग ने अपनी फाइनल रिपोर्ट नहीं दी थी और एक कंसल्टेशन पेपर सामने लाया था. इस पेपर में कहा गया कि 'मौजूदा समय में न तो यूनिफॉर्म सिविल कोड जरूरी है और न ही लोग इसे चाहते हैं.' आयोग ने सुझाव दिया था कि सभी धर्मों के मौजूदा कानूनों में संशोधन किए जाएं ताकि पर्सनल लॉ में दिखने वाली असमानता और भेदभाव को खत्म किया जा सके.

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
भारतीय संविधान का भाग 4 में 'राज्य की नीति के निदेशक तत्व' हैं. ये तत्व केवल राज्यों को एक निर्देश देते हैं, ये किसी भी कोर्ट में प्रवर्तनीय नहीं हैं. राज्य की नीति के निदेशक तत्व राज्यों के लिए एक सलाह की तरह हैं. इसे मुताबिक, 'केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देशित किया जाता है कि कानून बनाते समय उन्हें निदेशक तत्वों का ध्यान रखना चाहिए. संविधान का अनुच्छेद 44 कहता है कि नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता होनी चाहिए.'

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अनुच्छेद 44 कहता है, 'राज्य, भारत के समस्त राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त करने का प्रयास करेगा.' अनुच्छेद की व्याख्या करें तो यह स्पष्ट है कि यह महज एक सलाह है. धार्मिक संगठन यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध करते हैं. धार्मिक संगठनों को लगता है कि अगर यह कानून लागू हो गया तो उनके व्यक्तिगत कानून खतरे में पड़ जाएंगे.

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