Bihar Politics में क्राइम का है राज, आंकड़े बताते हैं कि हमेशा से हावी रहे हैं दागी नेता
बिहार की राजनीति में हावी रहे हैं आपराधिक छवि के नेता
Criminal Record of Bihar Leaders: बिहार की राजनीति में लंबे समय से आपराधिक छवि वाले नेताओं का बोलबाला रहा है. आरजेडी-जेडीयू गठबंधन की सरकार बनने के बाद मंत्रियों के आपराधिक मामलों पर एक बार फिर से बहस शुरू हो गई है.
डीएनए हिंदी: बिहार में 'महागठबंधन सरकार' (Grand Alliance) की वापसी के बाद नया मंत्रिमंडल बनने के साथ ही विवादों का भी दौर शुरू हो गया है. नई सरकार के शपथ ग्रहण और मंत्रिमंडल के बटवारे के बाद से सबसे पहले चर्चा में आए बिहार के नए कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह (Kartikeya Singh) उर्फ "कार्तिक मास्टर". मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मोकामा से विधायक रह चुके अनंत सिंह (Anant Singh) के बेहद करीबी “कार्तिकेय मास्टर” उर्फ “कार्तिकेय सिंह” को कानून मंत्री बनाकर अनंत सिंह ने जेल में रहकर भी अपनी पावर का प्रदर्शन किया है. इसी के साथ यह बात भी चर्चा में आ गई है कि बिहार में एके-47 और हैंड ग्रेनेड जैसे हथियार रखने के मामले में भले ही बाहुबली अनंत सिंह जेल में दिन गुजार रहे हैं लेकिन सत्ता और सियासत में उनका रसूख अभी भी बरकरार है.
नीतीश कुमार की अगुवाई में नए गठबंधन के साथ बनी नई कैबिनेट में कुल 31 मंत्री बनाए गए हैं. इसमें आरजेडी से 16, जेडीयू से 11, कांग्रेस से दो, हम (HAM) से एक और एक निर्दलीय विधायक है. सीएम नीतीश और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ कैबिनेट में कुल 33 सदस्य हैं. बात करें नए मंत्रिमंडल की तो हर बार की तरह इस बार भी बिहार में जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की गई है. कैबिनेट सीटें भी बिहार के वोट बैंक के हिसाब से ही बंटी हैं. जिसमें पिछड़े-अति पिछड़े समुदाय से सबसे अधिक 17 मंत्री बनाए गए हैं. इसमें यादव जाति से आठ मंत्री हैं. बिहार सरकार में पांच दलित-मुस्लिम नेताओं को जगह दी गई है. सवर्ण जातियों के भी 6 मंत्री बने हैं जिसमें दो भूमिहार समुदाय के भी हैं.
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जनता दल यूनाइटेड से विजय चौधरी- सरायरंजन (भूमिहार), विजेंद्र यादव- सुपौल (यादव), अशोक चौधरी- MLC (पासी), श्रवण कुमार- नालंदा (कुर्मी), संजय झा- एमएलसी (ब्राह्मण), लेशी सिंह- धमदाहा (राजपूत), जमा खान- चैनपुर (मुस्लिम), जयंत राज- अमरपुर (कुशवाहा), सुनील कुमार- भोरे (जाटव), मदन सहनी- बहादुरपुर (मछुआरा) और शिला मंडल- फुलपरास (धानुक) को मंत्री बनाया गया है.
33 में से 24 मंत्री का है क्रिमिनल रिकॉर्ड
नीतीश सरकार की नई कैबिनेट में 33 में से 24 मंत्री आपराधिक मुकदमों के घेरे में है. जिसमें डिप्टी CM तेजस्वी यादव पर अकेले 11 केस दर्ज हैं. वहीं, आरजेडी कोटे से मंत्री बने सुरेंद्र यादव के खिलाफ 9 आपराधिक मामले दर्ज हैं. हत्या के प्रयास, आपराधिक साजिश रचने सहित कई आरोपों के तहत भी केस दर्ज हैं. लगातार 30 सालों से बेलागंज से जीत रहे सुरेंद्र यादव की पहचान हमेशा से एक दबंग नेता के रूप में रही है.
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जब बात बिहार सरकार की हो रही है तो इनमें प्रमुख नाम तेजस्वी यादव डिप्टी CM बिहार को कैसे भूल सकते हैं. तेजस्वी यादव का नाम आईआरसीटीसी घोटाले में पहले ही आ चुका है. बिहार चुनाव 2020 के दौरान दायर किए हलफनामे के मुताबिक, तेजस्वी यादव पर 11 मामले दर्ज हैं. इनमें 7 क्रिमिनल केस हैं, जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग, आपराधिक साजिश रचने और धोखाधड़ी के मामले चल रहे हैं. दामन में दाग सिर्फ RJD के ही नहीं है. जेडीयू कोटे के मंत्री बने जमा खान पर भी हिंसा भड़काने, हत्या की कोशिश और आर्म्स एक्ट का मुकदमा चल रहा है. वहीं, निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह महागठबंधन सरकार में मंत्री बने हैं. इन पर भी पांच मामले दर्ज हैं.
बिहार की राजनीत की बात करें और क्राइम का तड़का न हो ऐसा होना मुश्किल है. बिहार में पिछले तीन विधानसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि लगभग हर पार्टी ने दागी उम्मीदवारों पर भरोसा किया है क्योंकि बिहार में ज़्यादातर पॉलिटिकल पार्टीज़ और चुनावी माइंड सेट को देखें तो ऐसा लगता है कि प्रदेश में अपराध का चुनावी फायदा ज्यादा होता है.
सालों से बिहार की राजनीति की शरण में हैं दागदार
बिहार में राजनीति को बड़े पैमाने पर अपराधीकरण के रूप में देखा जा सकता है. राज्य में विधानसभा चुनाव 2015 के आकड़ों को देखें तो 57% सांसदों और विधायकों और चुनाव के 30% उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज थे. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और बिहार इलेक्शन वॉच (BLW) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 के राज्य विधानसभा चुनाव में कुल 243 विधानसभा सीटों के 43 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज थे.
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वहीं, 2005 और 2010 में नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार और अपराध खत्म करके बिहार की छवि को साफ करने का वादा किया था लेकिन कभी नीतीश कुमार के करीबी समझे जाने वाले कुख्यात डॉन और बाहुबली से नेता बने अनंत सिंह ने उन्हीं के कार्यकाल में विधानसभा में कदम रखा था. साल 2015 में अनंत सिंह उर्फ़ "छोटे सरकार" के नाम से लोकप्रिय बाहुबली विधानसभा पहुंचे थे. हालांकि वर्तमान में, मोकामा के मौजूदा विधायक अनंत सिंह एक गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) मामले के तहत बिहार की बेउर जेल में बंद हैं.
2005 में पहली बार JDU के टिकट पर जीते अनंत सिंह साल 2020 में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के टिकट पर मोकामा सीट से नामांकन दाखिल करने के लिए जेल से बाहर आए थे. जिससे अनंत सिंह और तेजस्वी यादव की बढ़ती नजदीकियां जगज़ाहिर हो गई थीं. एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, अनंत सिंह के हलफनामे में घोषित किया गया था कि उनके खिलाफ हत्या के सात मामलों सहित 38 गंभीर आपराधिक मामले हैं और कुल मामलों में से नौ 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद से उनकी संख्या में जोड़े गए हैं.
प्रदेश के सभी बड़े दलों में हैं दागी नेता
शीर्ष सूची के सभी बड़े दलों- भारतीय जनता पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), आरजेडी और कांग्रेस में पिछले दो बिहार विधानसभा चुनावों में 50 प्रतिशत से अधिक दागी विधायक शामिल थे. 2015 में, 81 आरजेडी विधायकों में से, 46 विधायकों (64%) के खिलाफ आपराधिक मामले थे, उसके बाद भाजपा के 53 में से 36 विधायकों की आपराधिक पृष्ठभूमि और जेडीयू के 71 सीटों में 34 दागी विधायक थे.
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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और बिहार इलेक्शन वॉच के आंकड़ों से पता चलता है कि बिहार की वर्तमान विधानसभा में गंभीर आपराधिक मामलों वाले 94 विधायकों के साथ लगभग 60% विधायक आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं. इन विधायकों के खिलाफ हत्या से लेकर बलात्कार तक के आरोप हैं. 11 पर हत्या के आरोप हैं, 30 पर हत्या के प्रयास के तहत और पांच पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के आरोप हैं. जिनमें एक बलात्कार का भी है.
इसी तरह, 2010 के विधानसभा चुनावों में 32 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले थे. जबकि 2005 के चुनावों में यह 27 प्रतिशत था. 2005 में आपराधिक आरोपों वाले केवल 98 विधायक थे, 2010 में यह संख्या बढ़कर 23% (121 विधायक) हो गई थी. 2015 की विधानसभा ने पिछली विधानसभा की तुलना में 16% अधिक दागी विधायकों की मेजबानी की थी.
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