पिछले कुछ समय में नोएडा, लखनऊ समेत यूपी के कई शहरों में लिफ्ट की खराबी की वजह से कई गंभीर हादसे हो चुके हैं. उत्तर प्रदेश में अब तक लिफ्ट और एस्क्लेटर से होने वाले हादसों के लिए अब तक प्रदेश में कोई कानून नहीं है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट के सामने लिफ्ट एक्ट 2024 पेश किया है. इसे कैबिनेट से मंजूरी भी मिल गई है. इस कानून के तहत लिफ्ट और एस्क्लेटर के इस्तेमाल को लेकर जरूरी सतर्कता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से नए कानून लाए जा रहे हैं. इसके तहत क्या प्रावधान होंगे और बिल्डर्स और लिफ्ट निर्माण कंपनियों पर इसका क्या असर होगा, जानें सब कुछ.
पिछले साल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को बहुमंजिला इमारतों में लगी लिफ्ट/स्वचालित सीढ़ियों (एस्कलेटर) की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी. प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बैठक में उन्होंने इन साधनों के इस्तेमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कानून बनाने का निर्देश दिया था. साथ ही, लिफ्ट बनाने वाली कंपनियां सभी सुरक्षा मानक पालन को लेकर सभी जरूरी एहतियात का पालन करें, इसकी ताकीद भी की थी.
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लिफ्ट बनाने वाली सभी कंपनियों के लिए जरूरी होंगे ये नियम
अभी उत्तर प्रदेश में लिफ्ट सुरक्षा को लेकर कोई कानून नहीं है, लेकिन कई प्रदेशों में कानून बन चुके हैं. यूपी में पेश होने वाले विधेयक में नई लिफ्ट और एस्केलेटर लगाने वाले कंपनियों के मालिक के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जा रहा है. इसके अलावा, पहले से स्थापित और संचालित लिफ्ट और एस्केलेटर के लिए भी यह पंजीकरण जरूरी होगा. लिफ्ट और एस्केलेटर के निर्माण में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के सभी मानकों का पालन करना जरूरी होगा.
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इन राज्यों में पहले से लागू है लिफ्ट एक्ट
महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, दिल्ली एवं हिमांचल प्रदेश में लिफ्ट एक्ट लागू है. यूपी कैबिनेट ने जो विधायक पास किया है उसमें निर्माण, गुणवत्ता, आंतरिक सुरक्षा सुविधाओं, स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं के पालन को लेकर मानदंड तय किए गए हैं.
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