बिहार में कहर बनकर टूट रही आकाशीय बिजली, 24 घंटे में 21 की मौत, डरा देंगे 7 साल के आंकड़े

Written By रईश खान | Updated: Jul 12, 2024, 08:43 PM IST

Bihar thunderstorm 

Bihar Thunderstorm: बिहार में हर साल आकाशीय बिजली लोगों पर कहर बनकर टूटती है. इस साल अब तक 70 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. बीते 7 साल की बात करें तो चौंकाने वाला आंकड़े हैं.

बिहार के 12 जिलों में पिछले 24 घंटे में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से 21 लोगों की मौत हो गई. वहीं, दर्जनों लोग गंभीर रूप से झुलस गए. मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि आकाशीय बिजली गिरने से मधुबनी में सबसे ज्यादा 6 लोगों की जान चली गई. वहीं औरंगाबाद में चार लोगों की मौत हो गई. सीएम नीतीश कुमार ने मृतकों के परजिनों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है.

आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में वज्रपात से मधुबनी जिले में छह लोगों की मौत हो गई. जबकि औरंगाबाद में 4 और पटना में 2 लोगों ने अपनी जान गंवाई. इसके अलावा रोहतास, भोजपुर, जहानाबाद, सारण, कैमूर, गोपालगंज, लखीसराय, मधेपुरा और सुपौल में एक-एक व्यक्ति की मौत आकाशीय बिजली गिरने से हुई. इन घटनाओं पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है.

सीएम नीतीश ने कहा, 'आपदा की इस घड़ी में वे प्रभावित परिवारों के साथ हैं. मृतक के परिजनों को 4-4 लाख रूपये अनुग्रह अनुदान देने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं. सभी लोग खराब मौसम में पूरी सतर्कता बरतें. खराब मौसम में आकाशीय बिजली से बचाव के लिए आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी सुझावों का अनुपालन करें. खराब मौसम में घरों में रहें और सुरक्षित रहें.'

बता दें कि इससे पहले 6 जुलाई को बिहार में आकाशीय बिजली गिरने से 9 लोगों की मौत हो गई थी. राज्य में कई जिलों में पिछले 24 घंटे से बारिश हो रही है. इस दौरान आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं भी सामने आ रही हैं.


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7 साल में 1800 की मौत
बिहार में हर साल आकाशीय बिजली लोगों पर कहर बनकर टूटती है. इस साल अब तक 70 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. बताया जाता है कि वज्रपात की ज्यादा घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में होती हैं. ज्यादातर खेत मे काम करने के लोग आकाशीय बिजली की चपेट में आ जाते हैं. राज्य में पिछले 7 सालों यानी 2018 से अब तक आकाशीय बिजली गिरने से 1800 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है. इसमें इस साल हुई 70 मौतें भी शामिल हैं.

जानकारी के मुताबिक, 2016 में 114, 2017 में 180, 2018 में 139, 2019 में 253, 2020 में 459 और 2021 में 280 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद 2022 में 400 और 2023 में 242 लोगों ने जान गंवाई. यह हादसे जमुई, गया, बांका, औरंगाबाद, नवादा, पूर्वी चंपारण, छपरा, कटिहार, रोहतास, भागलपुर और बक्सर जिले में हुए.

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