डीएनए हिंदी: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी पूरे उत्साह में है और माना जा रहा है कि राम मंदिर उद्घाटन के बाद पार्टी पूरी तरह से चुनावी मोड में आ जाएगी. दूसरी ओर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के सामने अभी सीट शेयरिंग से लेकर कैंडिडेट्स उतारने को लेकर कइई चुनौतियां हैं. इस बीच दिल्ली में कांग्रेस के सीनियर नेताओं के बैठक हुई है और चुनावी रणनीति को लेकर चर्चा की गई. खबर है कि इस बैठक में चुनावी रणनीति बनाने और बीजेपी का सामना करने के तरीकों पर चर्चा की गई. बताया जा रहा है कि एक बार फिर देश की सबसे पुरानी पार्टी अपने पुराने और अनुभवी नेताओं को अहम जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी में है. इतना ही नहीं कई सीनियर नेताओं को भी चुनावी मैदान में उतारने का फैसला लिया गया है.
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा कर रहे हैं और इधर दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है. सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी और खरगे के साथ इस बैठक में कुछ और सीनियर लीडर्स के बीच चर्चा हुई. माना जा रहा है कि अशोक गहलोत, कमलनाथ जैसे सीनियर और बुजुर्ग नेताओं को पार्टी बड़ी जिम्मेदारी सौंपने का मन बना रही है. इतना ही नहीं चर्चा तो ये भी है कि सीनियर नेताओं को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार भी बनाया जा सकता है.
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पार्टी के बुजुर्ग नेताओं पर ही दांव लगाएगी कांग्रेस?
बीजेपी जहां पुराने दिग्गज चेहरों को दरकिनार करके नेतृत्व की नई पीढ़ी तैयार कर रही है वहीं कांग्रेस अभी भी शायद पुराने ढर्रे पर ही चलने के मूड में है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चुनाव में पार्टी के बुजुर्ग और सीनियर नेताओं पर ही भरोसा दिखाने वाली है. राज्यों में चुनाव से संबंधित बड़ी जिम्मेदारियां सौंपने के साथ ही कई सीनियर नेताओं को तो चुनाव में भी उम्मीदवार बनाने वाली है. अब देखना है कि पुराने चेहरों पर दांव लगाने का कितना फायदा पार्टी को मिल सकता है.
इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग पर चल रही है चर्चा
इंडिया गठबंधन की बैठकें अब तक लगभग बेनतीजा ही रही है क्योंकि सीट शेयरिंग के मुद्दे पर बातनहीं बन सकी है. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी कांग्रेस और गठबंधन पार्टियों को ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं है तो महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के भी असंतुष्ट होने की खबरें हैं. नीतीश कुमार को लेकर भी अटकलों का दौर जारी है. दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस को सीनियर पार्टनर मानने के मूड में नहीं है. ऐसे हालात में इंडिया गठबंधन के जमीन पर समझौते के आसार कम ही नजर आ रहे हैं.
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