बीजेपी ने रविवार को देर शाम अपनी पांचवीं लिस्ट जारी की है. इसमें पीलीभीत लोकसभा सीट (Pilibhit Lok Sabha) से मौजूदा सांसद वरुण गांधी का टिकट काटकर योगी सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया गया है. इसके बाद से सवाल उठ रहे हैं कि अब वरुण गांधी का राजनीतिक भविष्य क्या होगा? कुछ दिनों पहले ऐसी चर्चा थी कि वरुण के करीबियों ने नामांकन पत्र खरीदा है. सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं.
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि वरुण गांधी को समाजवादी पार्टी उम्मीदवार बना सकती है. अखिलेश यादव ने भी वरुण को उम्मीदवार बनाने के सवाल पर कुछ दिन पहले कहा था कि अगर वह आना चाहते हैं, तो उनका स्वागत है. हालांकि, पीलीभीत से इस बार लड़ाई वरुण के लिए इतनी आसान नहीं होगी. उनके निर्दलीय चुनाव लड़ने की भी बात कही जा रही है.
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पीलीभीत में रहा है वरुण और मेनका का दबदबा
पीलीभीत सीट की बात की जाए तो मेनका गांधी यहां से 6 बार सांसद रही हैं. 2009 में उन्होंने पीलीभीत की सीट वरुण गांधी के लिए छोड़ी थी और सुल्तानपुर से चुनाव लड़ी थीं. वरुण तब पीलीभीत से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. हालांकि, 2014 में एक बार फिर मेनका गांधी पीलीभीत से जीतकर संसद पहुंची. 2019 में वापस वरुण गांधी पीलीभीत लौटे और चुनाव जीते थे.
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अमित शाह के अध्यक्ष बनने के बाद कम होता गया कद
वरुण गांधी ने साल 2004 में बीजेपी ज्वाइन की थी और उस वक्त से ही उनकी छवि फायरब्रांड नेता के तौर पर बन गई थी. 2009 में वह पहली बार संसद पहुंचे थे. राजनाथ सिंह के अध्यक्ष रहते हुए उन्हें पार्टी में कई पदों पर जगह दी गई थी. हालांकि, 2014 के बाद उनका कद घटने लगा और 2019 में तो उनकी मां को मोदी कैबिनेट में भी जगह नहीं मिली.
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