राजनीति (Politics) और धर्म (Politics) का मिश्रण काफी पुराना है. इतिहास में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां धर्म ने राजनीति दशा और दिशा बदली है. कांग्रेस पार्टी के साथ भी ऐसा ही कुछ हो चुका है. बात 1980 की है जब कांग्रेस पार्टी विपक्ष में थी. 1977 में हुए जेपी आंदोलन के बाद जनता पार्टी सत्ता में आई थी. ऐसा पहली बार हुआ था जब देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को विपक्ष में बैठना पड़ा था. कांग्रेस की इस हार के बाद इंदिरा गांधी काफी परेशान रहने लगी थीं. इस दौरान वो लगातार अलग-अलग धार्मिक यात्राओं पर भी गई थीं. इसी क्रम में वो झांसी में मौजूद महाकाली विद्यापीठ मंदिर भी गई थीं. जहां कुछ ऐसा हुआ कि बदलना बड़ा उन्हें अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह.
आशीर्वाद के तौर पर मिला था चुनाव चिन्ह
इस बारे में वहां के पंडित अजय त्रिवेदी पहले ही मीडिया को बता चुके हैं. उन्होंने मीडिया को बताया कि जब इंदिरा गांधी जब यहां दर्शन करने के आई थी, तब प्रेमनारायण त्रिवेदी यहां के सबसे बड़े पुजारी थे. उनकी अगुवाई में ही इंदिरा गांधी ने यहा पूजा-पाठ करवाया था. अनुष्ठान के बाद जब इंदिरा गांधी ने आशिर्वाद मांगा था तो प्रेमनारायण त्रिवेदी ने उन्हें एक बड़ी सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि आप अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथ का निशान रख लीजिए, आपको बड़ी जीत हासिल होगी. इंदिरा गांधी जब उस यात्रा से लौटीं तो उन्होंने ठीक ऐसा ही किया, और तभी से कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा हो गया था. आपको बताते चलें कि उससे पहसे कांग्रेस का चुनाव चिन्ह गाय और बछड़ा हुआ करता था.
चार सदी पुराना है ये मंदिर
झांसी में मौजूद महाकाली विद्यापीठ मंदिर का अपना ऐतिहासिक महत्व है. ये मंदिर 400 साल पुराना है. ये एक सिद्ध शक्तिपीठ के तौर पर जाना जाता है. पूरे भारत से लोग यहां दर्शन करने आते हैं. यहां आकर दुर्गा शप्तशती का पाठ करने का खूब महत्व है. लोग मंदिर प्रांगण में कतार में बैठकर पाठ कर रहे होते हैं. मान्याता है कि मां काली इस मंदिर में अपने रौद्र रूप में विराजमान हैं. इस मंदिर में मां काली शक्ति स्वरूपा के को तौर पर मौजूद हैं. इस मंदिर की स्थापना 1687 में हुई थी. ये मंदिर ओरछा के महाराज वीर सिंह जूदेव के द्वारा ने कराया था. ऐसा माना जाता है कि महाराज झांसी में मौजूद जंगलों में शिकार करने गए थे, तभी उन्होंने तालाब के साथ लगी एक गुफा देखी थी. तभी पहली बार गुफा के अंदर महाकाली दिखाई दी थीं.
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