बशीरहाट की सीट पश्चिम बंगाल की राजनीति में सबसे चर्चित लोक सभा सीटों में से एक होने जा रही है. उत्तरी परगना जिले की बात करें या फिर बंगाल की या बात करें पूरे देश की इस सीट पर लोगों की नजरें टिकी रहेगी. क्योंकि इस साल की शुरुआत से ही बशीरहाट के अंदर आने वाला संदेशखाली चर्चा का विषय बना हुआ है. और लोकसभा चुनाव में महिला उत्पीड़न, गरीबी, जमीन दखल को लेकर बीजेपी ने इस ओर लोगों का ध्यान केंद्रित किया है. संदेशखाली के लोगों ने खासकर महिलाओं ने इतना अभियान और प्रदर्शन किया कि टीएमसी नेता शेख शाहजहां को न केवल पार्टी से निकाल दिया गया बल्कि ईडी के छापे ने भी देश का ध्यान खींचा.
टीएसी के सामने बीजेपी ने उतारी संदेशखाली की पीड़िता
बशीरहाट वैसे भी चर्चित सीटों में से एक रही है. फिलहाल वहां से वर्तमान सांसद ,अभिनेत्री नुसरत जहां जिन्होंने 2019 में रिकॉर्ड मत प्राप्त किया था उनका टिकट काटकर टीएमसी ने अपने पुराने सांसद हाजी नुरुल इस्लाम को टिकट दिया है. नुरुल के सामने खड़ी हैं संदेशखाली की पीड़िता रेखा पात्रा. ऐसा माना जा रहा है कि रेखा को महिलाओं का और सिंपेथी वोट भी मिलेगा.
हालांकि माकपा के उम्मीदवार नीरापद सरदार और आईएसएफ के उम्मीदवार मोहम्मद सहीदुल इस्लाम मोल्ला हैं. एसयूसीआई ने दाउद गाजी को मैदान में उतारा है.
यहां करीब 87.04 फीसदी आबादी ग्रामीण हैं और कुल वोटर्स 17 लाख 50, 590 है, मुस्लिम आबादी लगभग 46.3 फीसदी और अनुसूचित जाति की आबादी करीब 25.4 फीसदी है. हालांकि 2019 में 1433769 वोटर्स थे.
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विधानसभा चुनाव में कौन पार्टी थी सबसे ताकतवर?
बशीरहाट लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. संदेशखाली, बदुरिया, हरोआ, मिनाखान, हिंगलगंज, बशीरहाट उत्तर और बशीरहाट दक्षिण. बशीरहाट लोकसभा क्षेत्र वर्तमान में तृणमूल का गढ़ है. 294 विधानसभा वाले पश्चिम बंगाल में 213 सीटें टीएमसी के पास और 77 सीटें बीजेपी के पास हैं
इससे पहले इस सीट पर 1980 से लगातार सीपीआई के नियंत्रण में थी. सीपीआई नेता अजय चक्रवर्ती 1996 से लगातार सांसद रहे थे. लेकिन 2009 में तृणमूल कांग्रेस के नुरुल इस्लाम ने अजय को पराजय दी. हालांकि नुरुल पुराने खिलाड़ी हैं. नुसरत जहां से पहले 2009 और 2014 में नुरुल ही यहां से सांसद रहे थे.
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बता दें कि 2009 के चुनाव में बीजेपी को यहां से सिर्फ 6.5 फीसदी वोट मिले थे..लेकिन 2014 के चुनाव से यहां पार्टी अपनी ताकत बढ़ा रही है. क्योंकि 18.36 फीसदी वोट प्रतिशत हुआ 2019 के लोकसभा में बीजेपी ने अपनी ताकत बढ़ाई और वोट प्रतिशत बढ़कर 30.12 फीसदी हो गई. इस बार बीजेपी के सायंतन बोस को 4 लाख से अधिक वोट मिले. लेकिन रिकॉर्ड तोड़ मतों से नुसरत जहां ने 7 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की. मजेदार बात ये है कि दशकों तक एकाधिकार रखने वाली सीपीआई चौथे नंबर पर आ गई और इसके उम्मीदवार को महज 1 लाख वोटों से ही संतोष करना पड़ा.
42 लोकसभा सीटों वाले पश्चिम बंगाल में तेजी से बीजेपी पैठ बना रही है. 2014 में जहां बीजेपी ने 2 सीटें जीती थीं वहीं 2019 के चुनाव में 18 सीटें जीत कर इतिहास रचा और अब राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 35 सीटें ला सकती है.
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