अपने जोरदार भाषणों के लिए मशहूर तृणमूल कांग्रेस की नेता और पूर्व लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा एक नई मुश्किल में फंसती दिख रही हैं. कैश फॉर क्वेरी केस में लोकपाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को आदेश दिए हैं कि वह महुआ मोइत्रा के खिलाफ केस दर्ज करे. इसी मामले में महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी. हालांकि, TMC ने महुआ मोइत्रा को एक बार फिर से लोकसभा का टिकट दिया है. उनके खिलाफ कैश फॉर क्वेरी मामले में जांच जारी है और अब CBI को 6 महीने के अंदर जांच करके रिपोर्ट सौंपनी होगी.
लोकपाल ने कहा है कि महुआ मोइत्रा के खिलाफ, आईपीसी की धारा 203(a) के तहत केस दर्ज करके जांच कराई जाए. साथ ही, इसकी रिपोर्ट 6 महीने के अंदर दी जाए. वहीं, इस मामले में CBI सूत्रों ने कहा है कि अभी कोई केस दर्ज नहीं किया गया है, लोकपाल के आदेश पर आगे की कार्रवाई होगी. मामला दर्ज करने से पहले DTO एक आदेश जारी करता है जिसके बाद CBI केस दर्ज करके आगे जांच शुरू करेगी.
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आपको बता दें कि टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा इस बार भी पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से उम्मीदवार हैं. लोकपाल ने सीबीआई को आदेश दिए हैं कि वह महुआ मोइत्रा के केस दर्ज करे. पैसे लेकर सवाल पूछने वाले मामले में महुआ मोइत्रा की मुश्किलें अब और बढ़ने वाली हैं. दरअसल, लोकपाल ने यह आदेश देते हुए कहा है कि रिकॉर्ड और मिली जानकारी के मुताबिक, महुआ मोइत्रा के खिलाफ कई ठोस सबूत मिले हैं, इसलिए सत्य जानने के लिए यह जांच जरूरी है.
क्या है पूरा मामला?
आपको बता दें कि महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप लगे थे. इस मामले की शुरुआत तब हुई जब बीजेपा नेता निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाए थे. उन्होनें महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए रियल स्टेट कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत लेने के आरोप लगाए थे.
शिकायत मिलते ही लेकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जांच कमेटी बना दी थी. कमेटी ने इस मामले में महुआ मोइत्रा और निशिकांत दुबे समेत कई लोगों के बयान दर्ज किए थे. 9 नवंबर की बैठक में 'कैश फॉर क्वेरी' के आरोप में महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की गई थी. कमेटी के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में वोट किया था. इसके बाद 8 दिसंबर 2023 को महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी.
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