महिला सांसद हों या फिर सरपंच वो कमजोर होती हैं, उनका सारा काम उनकी आड़ में उनके पति करते हैं.. और सांसद पति और सरपंच पति कहलाते हैं.. ये बीते दिनों की बात होगी..जब पावर आ जाता है तो महिलाएं अपना पावर दिखाती ही हैं..हंसते हुए आप लवली आनंद को ही देखिए..
महिला सांसद, सरपंचों और विधायकों के पतियों द्वारा उनके पदों का दुरुपयोग करने पर लवली लगभग हंसते हुए कहती हैं, वह पुराने जमाने की बात होगी..आज की महिलाएं सजग हैं और जैसे ही महिलाएं पावरफुर होती हैं उनके पति घर संभालते हैं, मैंने खुद कई घरों में देखा है कि जिनकी पत्नी विधायक हैं या सरपंच हैं तो उनके पति बच्चा खिला रहे हैं, खाना बना रहे हैं.'
'जैसे ही महिलाओं को पावर का अहसास होता है वह दिखाने लग जाती हैं..हंसते हुए कहती हैं अब आप लवली आनंद को ही देखिए. वह कहती हैं कि अभी से नहीं पहले से ही..मैंने बिना पढ़े किसी कागज को साइन नहीं किया कभी.'
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महिला बदनाम हैं
तो क्या लवली आनंद अपना पावर दिखा पाती हैं? इस सवाल के जवाब में वह तेज हंसती हैं और कहती हैं..तो क्या मैं तो शुरु से ही जब तक पेपर पूरा पढ़ नहीं लेती थी तब तक सिग्नेचर नहीं करती थी.
लवली आनंद बिहार के शिवहर से जदयू की सांसद हैं. लवली कहती हैं, 'आप देखिए पंचायत सीरीज में जो दिखाया गया वो पुरानी बात हुई अब बिहार की सांसद हो या फिर सरपंच या फिर विधायक उसको उसका पावर खूब पता है और वह इम्पावर है. देखिए पंचायत में भी बाद में महिला सरपंच अपना पावर दिखाती ही है.'
वो कहती हैं चूंकि नए नए में महिलाएं हिचकिचाहट में बोल नहीं पाती हैं इसलिए बदनाम हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ महिलाएं नहीं बोल पाती हैं पुरुष भी नहीं बोल पाते हैं लेकिन महिलाएं बदनाम कर दी जाती हैं.
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महिला आरक्षण के लिए हमने भी लड़ी है लड़ाई
पंचायती राज हो या फिर बिहार पुलिस कर्मी में आरक्षण बिहार सरकार और नीतीश कुमार ने महिलाओं को आरक्षण दिया है वहीं केंद्र सरकार ने अब महिलाओं की 33 फीसदी आरक्षण पास हो चुका है. हमने भी इसकी लड़ाई लड़ी है मुझे तो एक दिन की जेल भी हुई थी क्योंकि मैंने 50 फीसदी आरक्षण की बात की थी जबकि आनंद जी को तो मार्शल आउट किया गया था. लेकिन वक्त बहुत बदला है. महिलाएं तेजी से आगे आईं हैं और आ रही हैं. बिहार में महिलाएं बिहार में मुखिया, प्रमुख, सरपंच हैं विधानसभा और पार्लियामेंट में भी आएंगी.
पावरफुल घरों की महिलाएं ही आ पाती हैं राजनीति में
शिवहर से सांसद तपाक से कहती हैं इसीलिए न 33 फीसदी का आरक्षण कराया गया है कि हर क्षेत्र की महिलाएं को आने का मौका मिलेगा. फिर पावर नहीं काम करने वाली भी आगे आएंगी और उन्हें मौका मिलेगा. सदन चाहें वो राज्य का होगा या फिर केंद्र का महिलाओं का दबदबा दिखेगा.
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