100 साल की लड़ाई को झटका है EWS कोटा... एमके स्टालिन बोले- कोर्ट में फिर डालेंगे अर्जी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 08, 2022, 12:26 PM IST

EWS Quota: एमके स्टालिन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार अर्जी दाखिल की जाएगी. इस बारे में वकीलों के राय ली जा रही है. 

डीएनए हिंदीः सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आर्थिक आधार पर कमजोर (EWS Quota) लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण को लेकर सोमवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का बीजेपी से लेकर सभी सभी राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है. हालांकि डीएमके की ओर इसका विरोध किया गया है. डीएमके नेता एमके स्टालिन ने कहा है कि वह इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल किए जाने को लेकर वकीलों से राय ली जा रही है. 

'100 साल से चली आ रही लड़ाई'
एमके स्टालिन ने कहा कि एक सदी से सामाजिक न्याय कोलेकर लड़ाई चली आ रही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इस लड़ाई को धक्का लगा है. स्टालिन ने अपनी इस मुहिम में सभी से जुड़ने की अपील की है. स्टालिन ने कहा कि आरक्षण का मकसद यह था कि उन लोगों को शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में समान अवसर मिल सकें. , जिनके साथ ऐतिहासिक रूप से अन्याय हुआ है. 

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तमिलनाडु सरकार भी थी पार्टी
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर तमिलनाडु की डीएमके सरकार भी पार्टी थी. तमिलनाडु सरकार ने ही ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत नौकरी न देने का फैसला लिया था. राज्य सरकार की ओर से इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस मामले को लेकर स्टालिन के अलावा डीएमके नेता टी. तिरुमावलन ने भी कहा है कि पार्टी की ओर से अदालत में पुनर्विचार के लिए अर्जी डाली जाएगी.   
 
सुप्रीम कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला 

सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने सोमवार को 3-2 के बहुमत से ईडब्ल्यूएस कोटे के पक्ष में फैसला दिया. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर एक और खास टिप्पणी भी की. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि कोटा प्रणाली को अनिश्चितकाल तक चलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और एक जातिविहीन व वर्गहीन समाज के लिए इसकी समय-सीमा तय की जानी चाहिए. EWS आरक्षण के लिए 103वें संवैधानिक संशोधन की वैधता को बरकरार रखते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि आरक्षण का मकसद सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना है, लेकिन यह अनिश्चितकाल तक जारी नहीं रहना चाहिए, ताकि यह निहित स्वार्थ न बन जाए. 

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