उद्धव गुट की मांग खारिज, शिंदे गुट की असली शिवसेना, स्पीकर ने सुनाया फैसला

Written By रईश खान | Updated: Jan 10, 2024, 07:59 PM IST

एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे. (फाइल फोटो-PTI)

Shiv Sena MLA Disqualification Verdict Live: एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर को 10 जनवरी तक फैसला देने को कहा था.

डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को ही असली शिवसेना माना है. उन्होंने शिंदे गुट के अलग शिवसेना बनाने को अवैध घोषित करने की उद्धव ठाकरे गुट की मांग को खारिज कर दिया है. स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा, उद्धव ठाकरे को शिंदे को पार्टी से हटाने का कोई अधिकार नहीं है. अपने फैसले को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि मैंने चुनाव आयोग का फैसला ध्यान में रखा है. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना बताया था. EC में रखा गया संविधान ही मान्य होगा. 2018 में रखा गया शिवसेना का सविंधान स्वीकार नहीं कर सकते. हम 1999 का ही संविधान मानेंगे.

20 जून 2022 को एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के साथ शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे से बगावत कर दी थी और बीजेपी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बना ली थी. एकनाथ शिंदे को सीएम बनाया गया था. इस मामले में उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर राहुल नार्वेकर को अयोग्यता याचिकाओं पर 31 दिसंबर 2023 तक फैसला देने के लिए कहा था. बाद में इस समय सीमा को 10 जनवरी तक बढ़ा दिया गया था.

इस फैसले की पूर्व संध्या पर विरोध जताते हुए विपक्षी शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर शिवसेना विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर फैसले से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के बीच हुयी बैठक पर आपत्ति जताई है. इसके बाद ठाकरे और नार्वेकर के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए. विधान भवन के अधिकारियों ने बताया कि अयोग्यता संबधी याचिकाओं पर नार्वेकर 10 जनवरी को शाम 4 बजे बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाएंगे. शिवसेना में फूट पड़ने के 18 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद यह फैसला सुनाया जाएगा.

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'जज आरोपी से मिले तो क्या उम्मीद रखें?'
शिवसेना में हुए इस विभाजन के बाद प्रदेश की उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली एमवीए सरकार को जाना पड़ा था. ठाकरे ने मंगलवार को कहा, 'अगर न्यायाधीश (नार्वेकर) आरोपी से मिलने जाते हैं तो हमें न्यायाधीश से क्या उम्मीद करनी चाहिए.' ठाकरे के सहयोगी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के संस्थापक शरद पवार ने भी कहा कि जब किसी मामले की सुनवाई कर रहा कोई व्यक्ति उस व्यक्ति से मिलता है, जिसके खिलाफ मामले की सुनवाई हो रही है तो इससे संदेह पैदा होता है. इस पर पलटवार करते हुए नार्वेकर ने कहा कि ठाकरे को पता होना चाहिए कि विधानसभा अध्यक्ष किस उद्देश्य से मुख्यमंत्री से मिल सकता है. 

स्पीकर नार्वेकर ने तर्क दिया, 'अगर वह अब भी ऐसे आरोप लगाते हैं तो उनका मकसद बहुत स्पष्ट है. ऐसा कोई नियम नहीं है कि अयोग्यता याचिकाओं पर सुनवाई करते समय विधानसभा अध्यक्ष कोई अन्य काम नहीं कर सकता है.' बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने राहुल नार्वेकर के लिए विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली शिवसेना के दोनो गुटों द्वारा दायर याचिकाओं पर निर्णय लेने की समय सीमा 10 जनवरी तक बढ़ा दी थी. ठाकरे ने कहा कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मई में नार्वेकर को अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय करने का निर्देश दिया था इसलिए विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से दो बार मुलाकात की.

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वहीं, इस नई हलचल पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विश्वास जताया कि शिवसेना-बीजेपी-एनसीपी (अजित पवार गुट) सरकार स्थिर है और आगे भी रहेगी. वरिष्ठ बीजेपी नेता ने जोर देकर कहा कि गठबंधन सरकार वैध है और उम्मीद जताई कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले से उन्हें न्याय मिलेगा. बता दें कि शिवसेना का साथ छोड़ने वाले 16 विधायकों के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने अयोग्यता की कार्यवाही किए जाने की अपील दायर की थी.

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