Dussehra rally: एकनाथ शिंदे ने हरिवंश राय बच्चन के बहाने उद्धव ठाकरे को खूब सुनाया, जानें इनसाइड स्टोरी

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 05, 2022, 08:41 PM IST

उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे. (फाइल फोटो)

उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान विरासत में मिली है. एकनाथ शिंदे ने बगावत कर नई शिवसेना बनाई है. दोनों के बीच बाल ठाकरे की विरासत को लेकर जंग चल रही है.

डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजधानी मुंबई में दशहरा रैली (Dussehra Rally) से ठीक पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने विरासत को लेकर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) पर तंज कसा है. उन्होंने हिंदी के प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन की एक कविता के जरिए ठाकरे परिवार पर निशाना साधा है. उन्होंने यह कहने की कोशिश की है कि सिर्फ किसी का बेटा हो जाने से उसे उसका उत्तराधिकार नहीं मिलता है, बल्कि जो उत्तराधिकारी होता है, वही उसका बेटा होता है.

उन्होंने ट्वीट किया, 'मेरे बेटे, बेटे होने से मेरे उत्तराधिकारी नहीं होंगे, जो मेरे उत्तराधिकारी होंगे, वो मेरे बेटे होंगे. हरिवंशराय बच्चन.' उनका इशारा साफ तौर पर उद्धव ठाकरे की ओर था. उनके ट्वीट पर तरह-तरह की अटकलें लगाई जाने लगी हैं. लोग कह रहे हैं कि एकनाथ शिंदे खुद को बाल साहब ठाकरे का उत्तराधिकारी बता रहे हैं.

Dussehra Rally: महाराष्ट्र में विरासत की 'जंग', उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे, किसका साथ देंगे शिवसैनिक?

एकनाथ शिंदे ने क्यों कही ये बात?

 

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान उनके पिता बाल ठाकरे ने सौंपी थी. 2003 से ही वह शिवसेना अध्यक्ष हैं. वही शिवसेना जिसके अध्यक्ष पद के लिए प्रस्ताव राज ठाकरे ने दिया था, जिसका अनुमोदन बाल ठाकरे ने किया था. ऐसे में वह खुद को बाल ठाकरे का सच्चा वारिस बताते हैं. उनके समर्थक कहते हैं कि ठाकरे परिवार का सदस्य ही शिवसेना का सत्ता संभालेगा. जहां ठाकरे परिवार, वहीं शिवसैनिक. शिवसैनिक वैसे भी, उद्धव ठाकरे के आवास, मातोश्री को शिवसेना का मंदिर बताते हैं. 

Dussehra Rally: मुंबई में शिवसेना vs शिवसेना, जुटने लगी ठाकरे और शिंदे समर्थकों की भीड़

एकनाथ शिंदे का कहना है कि सिर्फ ठाकरे परिवार का होने की वजह से ही नहीं उद्धव ठाकरे शिवसेना के वारिस हो जाएंगे. उनका वारिस वही होगा, जो उनके रास्ते पर चलेगा. जो उनकी राह पर नहीं चलेगा वह उनका वारिस नहीं होगा. एकनाथ शिंदे के ऐसा कहने की कई वजहें भी हैं. 

उग्र हिंदुत्व से दूर होते चले गए उद्धव ठाकरे!

दरअसल, शिवसेना का रुख उग्र हिंदुत्व और मराठा मानुष से बदलकर सेक्युलर पार्टी की ओर हो गया है. साल 2019 में जब महा विकास अघाड़ी सरकार अस्तित्व में आई तो उद्धव ठाकरे ने पूरे तेवर बदल दिए. उन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा से थोड़ी दूरी बना ली और कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों के सॉफ्ट हिंदुत्व वाले फॉर्मूले की ओर शिफ्ट कर गए. यही वजह है कि शिवसैनिकों का एक धड़ा उनसे कटता चला गया और एकनाथ शिंदे उस गुस्से को भुनाने में कामयाब हो गए.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Eknath Shinde uddhav thackeray Dussehra rally Maharashtra