Eknath Shinde: आंखों के सामने चली गई थी शिंदे के दो बच्चों की जान, राजनीति से ले लिया था संन्यास

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 01, 2022, 04:43 PM IST

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे. (फाइल फोटो-PTI)

Maharashtra CM Eknath Shinde: एकनाथ शिंदे का राजनीतिक जीवन अब बेशक एक बड़े मुकाम तक पहुंच गया हो, लेकिन निजी जीवन में उन्होंने कई दुख देखे हैं.

डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री हैं एकनाथ शिंदे. दो दिन पहले तक वह शिवसेना के बागी नेता थे. अब महाराष्ट्र की पूरी सत्ता उनके हाथ में है. इसी के साथ एकनाथ शिंदे का पूरा राजनीतिक सफर एक बार फिर सुर्खियों में है. उनके बारे में कहा जाता है कि वह ठाकरे पर‍िवार के बाहर सबसे ताकतवर शिवसैनिक हैं. बाल ठाकरे के दौर में भी उनकी खूब धमक रही है और वह खुद उद्धव ठाकरे के भी काफी करीबी रहे हैं. हालांकि बीते दिनों पलटी राजनीतिक बिसात के बाद अब हालात कुछ और हैं और जज्बात भी. इस सबसे इतर अब अगर एकनाथ शिंदे के निजी जीवन की बात करें तो वह काफी संघर्ष और दुखों भरा रहा है. 

परिवार की जिम्मेदारी के लिए चलाया ऑटो रिक्शा
मूल रूप से एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के सतारा जिले से पहाड़ी जवाली तालुका के रहने वाले हैं. यहीं पर 9 फरवरी 1964 को शिंदे का जन्म हुआ था. इसके बाद एकनाथ शिंदे का परिवार अजीविका के लिए ठाणे आ गया. एकनाथ शिंदे की पढ़ाई ठाणे के मंगला हाई स्कूल एंड जूनियर कॉलेज से हुई है. वह सिर्फ 11वीं कक्षा तक ही पढ़ पाए, इसके बाद उन्हें परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए ऑटो रिक्शा चलाना पड़ा. 

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एक हादसे में चली गई दोनों बच्चों की जान
ऑटो रिक्शा चलाते-चलाते शिंदे अस्सी के दशक में शिवसेना से जुड़े गए. वह पार्टी के आम कार्यकर्ता के रूप में शिवसेना से जुड़े थे और वहां से सीएम तक का सफर पूरा किया है. लेकिन इस बीच उनकी निजी जिंदगी में ऐसा तूफान आया जिसने उनके लिए सब कुछ बिखेरकर रख दिया. उस वक्त वह पार्षद हुआ करते थे. इस दौरान उनका परिवार सतारा गया हुआ था. यहां एक हादसे में उन्होंने अपने 11 साल के बेटे दीपेश और 7 साल की बेटी शुभदा को खो दिया था. बोटिंग करते हुए एक ऐसा एक्सीडेंट हुआ जिसमें शिंदे के दोनों बच्चे उनकी आंखों के सामने डूब गए थे.  उस वक्त शिंदे के दूसरे बेटे  और कल्याण लोकसभा सीट से मौजूद सांसद श्रीकांत सिर्फ 13 साल के थे. बच्चों की मौत की घटना के बाद शिंदे काफी टूट गए थे. इसके बाद शिंदे ने राजनीतिक जीवन से किनारा तक कर लिया था. 

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