Maharastra CM Eknath Shinde का बयान: 'अबकी बार 400 पार' ने बनाया डर, रणनीति पर दी सफाई

आदित्य प्रकाश | Updated:Aug 19, 2024, 12:55 PM IST

Maharashtra CM Eknath Shinde

लोकसभा चुनावों के नतीजों पर बोलते हुए महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने चार सौ पार के नारे को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया है, उन्होंने कहा कि '2024 में बीजेपी की ओर से जारी 400 पार के नारे ने जनता और कार्यकर्ताओं के बीच डर का माहौल पैदा कर दिया है. चुनावी नतीजों में ये नारा खुद पर ही भारी पड़ गया.'

महाराष्ट्र के CM एकनाथ शिंदे ने 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजों को लेकर अपने विचार साझा किए हैं, जिसमें उन्होंने बताया कि 'अबकी बार 400 पार' के नारे ने पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता के बीच एक तरह का डर का माहौल पैदा कर दिया था. शिंदे का मानना है कि इस नारे की वजह से कार्यकर्ता थोड़ी सी आराम की स्थिति में चले गए. इससे चुनावी रणनीति पर खासा असर पड़ा है.

'कार्यकर्ता हो गए थे रिलैक्स'
शिंदे ने मई 2024 के एक इंटरव्यू में दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लीडरशीप में एनडीए 400 से ज्यादा सीटें जीतेगा. यह नारा बीजेपी और एनडीए के अन्य नेताओं ने भी जोर-शोर से अपनाया गया था. लेकिन जब चुनावी नतीजे सामने आए, तो बीजेपी 240 सीटों तक सीमित रह गई, हालांकि एनडीए 293 सीटों के साथ तीसरी बार सत्ता में आने में सफल रहा. शिंदे ने कहा कि इस नारे से जनता के बीच एक शक पैदा हो गया और कार्यकर्ता भी कुछ हद तक रिलैक्स हो गए थे.

'लोकसभा और विधानसभा चुनावों का अंतर'
शिंदे ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के मुद्दे और तर्ज अलग होते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि विधानसभा चुनाव अधिकतर स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित होते हैं, जबकि केंद्र के मुद्दे वहां कम भूमिका निभाते हैं.


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'शिवसेना विभाजन पर शिंदे की सफाई'  
शिंदे ने शिवसेना में विभाजन और विधायकों को गुवाहाटी के होटल में ठहराने को लेकर भी सफाई दी. उन्होंने इसे अपनी रणनीति का हिस्सा बताया और कहा कि उन्होंने यह फैसला छिपकर नहीं, बल्कि खुलेआम लिया था. इसके अलावा, उन्होंने पार्टी में विभाजन और शिवसेना विधायकों को गुवाहाटी के होटल में ठहराने से जुड़े सवालों पर भी खुलकर अपने विचार साझा किए. उन्होंने इस निर्णय को अपनी रणनीति का हिस्सा बताया और स्पष्ट किया कि उन्होंने यह कदम छिपकर नहीं बल्कि खुलेआम उठाया था. शिंदे ने कहा, 'नेता का कर्तव्य है कि वह कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझे.' 

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