Maharashtra के सियासी संकट की वजह क्या है, क्या उद्धव ठाकरे नहीं संभाल पाएंगे शिवसेना की बगावत?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 23, 2022, 07:37 AM IST

उद्धव ठाकरे. (फाइल फोटो-PTI)

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना केंद्र बिंदु रही है. शिवसेना बिखर रही है और उद्धव ठाकरे मूक दर्शक बन बैठे हैं.

डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने अपने बागी विधायकों (Rebel MLA) को यह समझाने के लिए एक नया प्रस्ताव दिया है कि वह मुख्यमंत्री पद से हटने के लिए तैयार हैं, लेकिन वह चाहते हैं कि नया मुख्यमंत्री शिव सैनिक (Shiv Sainik) हो.

उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे को ऑफर दे रहे हैं कि अगर वो वापस आए तो उद्धव उन्हें महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री बना देंगे. उद्धव ठाकरे यह भी चाहते हैं कि अगर भारतीय जनता पार्टी के साथ भी जाना पड़े तो भी मुख्यमंत्री कोई शिवसैनिक ही हो.

दूसरी ओर, एकनाथ शिंदे ने अपना तेवर साफ कर दिया है कि अगर शिवसेना कांग्रेस (Congress) और एनसीपी (NCP) से नाता तोड़ लेती है तो सभी बागी विधायक वापस आने को तैयार हैं.

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ठाकरे परिवार होगा शिवसेना से बाहर

अब उद्धव ठाकरे के पास 55 में से सिर्फ 16 विधायक रह गए हैं और बाकी सभी विधायक एकनाथ शिंदे के साथ हैं. एकनाथ शिंदे कह रहे हैं कि वह शिवसेना के असली नेता हैं. वह पूरी पार्टी को अपने हाथ में लेना चाहते हैं और ठाकरे परिवार को इससे बाहर निकालना चाहते हैं.

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सरकार नहीं, पार्टी ही नहीं बचा पाएंगे उद्धव ठाकरे

राजनीति का सबसे दिलचस्प मुकाबला इस समय महाराष्ट्र में खेला जा रहा है. इस खेल में सब कुछ है. इसमें नंबर गेम भी है, ट्रेजडी भी है और कॉमेडी भी है. कॉमेडी यह है कि उद्धव ठाकरे अब तक सिर्फ अपनी सरकार बचा रहे थे लेकिन अब लगता है कि वह अपनी पार्टी शिवसेना को नहीं बचा पाएंगे.

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बागी बन गया सबसे मजबूत कंधा

एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के उस फैसले को सीधे चुनौती दी है जिसमें उद्धव ने उन्हें विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया था और अजय चौधरी को शिवसेना विधायकों का नेता घोषित कर दिया. एकनाथ शिंदे ने अब महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष को एक पत्र लिखा है और उन्होंने उनसे कहा है कि उन्हें शिवसेना के दो-तिहाई विधायकों का समर्थन मिला है. इन सभी विधायकों ने उन्हें अपने विधायक दल का नेता चुना है. इसका मतलब है कि एकनाथ शिंदे ने सीधे शिवसेना पर कब्जा कर लिया है और उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी तक नहीं बचा पा रहे हैं.

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