डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र की सियासत में देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadanvis) के साथ कुछ ऐसा हुआ है जिसकी लोग कल्पना तक नहीं कर रहे थे. कहां यह उम्मीद जताई जा रही थी कि देवेंद्र फडणवीस ही अगले मुख्यमंत्री होंगे, कहां उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के कभी सबसे करीबी रहे एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) मुख्यमंत्री बन गए.
लोग यह मानकर चल रहे थे कि मुख्यमंत्री पद भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने पास रख रही है लेकिन शपथ ग्रहण के कुछ घंटों में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने चौंकाने वाला फैसला. पहले यह कहा जा रहा था कि देवेंद्र फडणवीस शीर्ष नेतृत्व के इस फैसले से नाराज हैं लेकिन बाद में सबकुछ मैनेज हो गया.
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एक बार के मुख्यमंत्री रह चुके देवेंद्र फडणवीस अब एकनाथ शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम है. राजनीतिक तौर पर इसे डिमोशन ही कहा जाएगा. पहले वह कैबिनेट का हिस्सा और डिप्टी सीएम का पद लेने के लिए तैयार नहीं थे. शीर्ष नेतृत्व के लगातार दबाव के बाद वह इस पद को लेने के लिए तैयार हुए. आखिर वह एकनाथ शिंदे को समर्थन देने के लिए कैसे तैयार हो गए, इसकी वजह से भी बेहद दिलचस्प है.
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कुर्सी छोड़ने के लिए कैसे तैयार हुए देवेंद्र फडणवीस?
जब देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री का पद दिया गया लोग सकते में आ गए. कुछ लोग उनके धैर्य की तारीफ करने लगे तो कुछ लोग मजाक बनाने लगे. सोशल मीडिया पर मीम्स की बढ़ आ गई. उनके समर्थक यह मान रहे हैं कि एक दिग्गज नेता के साथ ठीक नहीं हुआ है. खुद मुख्यमंत्री रह चुका चेहरा कैसे उपमुख्यमंत्री का पद संभालेगा. एकनाथ शिंदे जिसके पास ऐसा राजनीतिक अनुभव नहीं है उनके सामने एक सफल मुख्यमंत्री रह चुका नेता कैसे काम करेगा, इस पर भी चर्चा हो रही थी. आखिर देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री पद के लिए कैसे तैयार हो गए, जानकार इसकी वजह बता रहे हैं.
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उद्धव से मिला है सबक
मुख्यमंत्री अगर विधायकों को संतुष्ट न कर पाए तो उनका जाना तय माना जाता है. उद्धव ठाकरे भी विधायकों को संतुष्ट करने में फेल रहे जिसकी वजह से सत्ता से बेदखल हो गए. अब फडणवीस ऐसी स्थिति में हैं कि एकनाथ शिंदे पर हमेशा दबाव बनाकर रखेंगे. वह जो फैसला करेंगे एकनाथ शिंदे को मानना होगा. ऐसी स्थिति इसलिए भी होगी क्योंकि वह किंग नहीं, किंगमेकर की भूमिका में आ गए हैं.
पद नहीं पार्टी है सबसे महत्वपूर्ण
देवेंद्र फडणवीस ने अपने फैसले से साबित किया है कि पद नहीं, पार्टी महत्वपूर्ण है. अगर पार्टी आगे बढ़ेगी तो पद भी बढ़ता रहेगा. उन्होंने उपमुख्यमंत्री बनकर अपने शीर्ष नेताओं का मान रखा और सूबे की सियासत में प्रासंगिक बने रहे.
देवेंद्र फडणवीस के कदम से यह गया संदेश
देवेंद्र फडणवीस के एक कदम से बीजेपी यह मैसेज देने में कामयाब हो गई है कि बीजेपी सत्ता नहीं, सुशासन के लिए संघर्ष कर रही है. जब शिवसेना के 40 से ज्यादा विधायक बागी हो गए तो यह संदेश किया कि महाराष्ट्र में बीजेपी हॉर्स ट्रेडिंग पर उतर आई है, सत्ता के लिए पार्टी का आलाकमान कुछ भी फैसला कर सकता है. सरकार गठन के बाद बीजेपी ने यह साबित कर दिया है कि पार्टी के लिए पद नहीं महत्वपूर्ण है, यही वजह है कि एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद देने के लिए देवेंद्र फडणवीस तैयार हो गए.
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