Maharashtra Political Crisis: 24 घंटे में बर्खास्त होंगे बागी मंत्री, संजय राउत ने शिंदे गुट को दी एक्शन की चेतावनी

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 25, 2022, 09:32 PM IST

Maharashtra Political Crisis को लेकर संजय राउत ने दावा किया है कि 24 घंटे के अंदर शिंदे गुट के सभी विधायकों के मंत्री पद छीन लिए जाएंगे और उनके खिलाफ फिर अन्य सभी सख्त एक्शन लिए जाएंगे.

डीएनए हिंदी: Maharashtra Political Crisis के बीच अब शिवसेना (Shivsena) अपने बागी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की प्लानिंग कर रही है. भले ही सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की सीएम की कुर्सी पर तलवार लटकी हो लेकिन शिवसेना अब इस मामले बागियों के खिलाफ कार्रवाई होने वाली है. इसको लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने कहा है कि 24 घंटों में शिवसेना के सभी  बागी मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई होगी. 

इससे पहले दिन में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने शिवसेना अध्यक्ष एवं राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को राज्य के वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व वाले बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अधिकृत किया था, शाम को एक मराठी समाचार चैनल से राउत ने कहा, “उन्हें हटाने की प्रक्रिया जारी है.”

इन सभी पर होगा एक्शन 

एकनाथ शिंदे के गुट के सभी बागी मंत्रियों को लेकर संजय राउत ने बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा, “गुलाबराव पाटिल, दादा भूसे, संदीपन भुमरे जैसे मंत्रियों को शिवसेना का वफादार कार्यकर्ता माना जाता था, जिन्हें उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट मंत्री बनाया था. पार्टी ने उन्हें काफी कुछ दिया है.

संजय राउत ने कहा है कि बागियों ने गलत रास्ता अपनाया है और वे 24 घंटे में अपना पद गंवा देंगे.विद्रोही खेमे के अन्य मंत्री शंभूराज देसाई, अब्दुल सत्तार और बच्चू कडू हैं. कडू, प्रहार जनशक्ति पार्टी के प्रमुख हैं जो शिवसेना के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है.

शिंदे बनने वाले थे मुख्यमंत्री

राउत ने यह भी दावा किया कि जब शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था और कहा था कि मुख्यमंत्री का पद दोनों दलों के पास बारी-बारी रहेगा, तो ठाकरे के मन में इस शीर्ष पद के लिए शिंदे का नाम था लेकिन फिर भी बात नहीं बनी और बीजेपी सहमत नहीं हुई. 

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आपको बता दें कि महाराष्ट् में 2019 के चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद बारी-बारी से रखने के मुद्दे को लेकर दोनों सहयोगियों के बीच गठबंधन टूट गया था जिसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा से हाथ मिला लिया. राउत ने यह भी कहा कि आधे विद्रोहियों का हिंदुत्व से कोई लेना-देना नहीं है लेकिन वे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रहे हैं और इसीलिए ये नेता लगातार बगावत कर के बीजेपी  के साथ जाने की प्लानिंग कर रहे हैं. 

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