Uddhav Thackeray अब सरकार नहीं पार्टी बचाने की कोशिश में लगे? समझिए क्या है उनके बयान का मतलब

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 25, 2022, 06:50 AM IST

उद्धव ठाकरे

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार पर आए संकट के बीच अब ऐसा लग रहा है कि उद्धव ठाकरे शिवसेना पार्टी को बचाने में लग गए हैं.

डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट (Maharashtra Political Crisis) हर दिन नया मोड़ लेता दिखता है. बगावत से जूझ रही शिवसेना (Shiv Sena) कभी अपने विधायकों को मनाने की कोशिश में दिखती है तो कभी कड़ा फैसला लेने का इशारा करती है. इस बीच शिवसेना चीफ और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बयानों से पता चल रहा है कि अब उन्हें सरकार बचाने से ज़्यादा अपनी पार्टी बचाने की चिंता है. इसी क्रम में आज शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी बुलाई गई है. उद्धव ठाकरे कह रहे हैं कि शिवसेना के लोग नहीं चाहते तो वह सीएम पद और पार्टी दोनों छोड़ देंगे. उन्होंने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) का भी जिक्र किया और कहा कि शिंदे पर उन्हें पहले ही शक हो गया था.

एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के लगभग 37-38 विधायकों की बगावत के चलते उद्धव ठाकरे की सरकार खतरे में पड़ गई है. शिवसेना को भी इस बात का अंदाजा हो गया है कि सरकार का बचना मुश्किल ही है. दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर भी दावा ठोंका है और खुद को बाला साहब का कट्टर शिवसैनिक बताया है. इन्हीं दावों को देखते हुए अब शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे सरकार से ज़्यादा शिवसेना पार्टी को बचाने पर फोकस कर रहे हैं.

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'शिवसैनिक मेरे साथ तो किसी बात की चिंता नहीं'
शिवसेना पार्षदों को ऑनलाइन संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर से इमोशनल कार्ड खेला. उद्धव ठाकरे ने कहा, 'मुझ पर आरोप लगते हैं कि मैंने जो कुछ किया अपने बेटे के लिए किया. उनका (एकनाथ शिंदे का) बेटा दो बार शिवसेना का सांसद बना. जिसे जाना हो जाए मैं शिवसेना को दोबारा खड़ा करूंगा. अगर आप शिवसैनिक मेरे साथ हैं तो मुझे किसी बात की चिंता नहीं है. आप बाला साहब के शिवसैनिक हैं, आप मेरा अभिमान हैं.'

उद्धव ठाकरे ने कहा, 'आप में से कइयों को फोन आ रहे होंगे, कुछ को प्यार से तो कुछ को धमकी दी जा रही होगी. मैं कहता हूं- हर शेर को सवा शेर मिलता ही है. आपको सवा शेर शिवसेना में ही मिलेगा. शिवसेना तलवार की तरह है, अगर आप इसे म्यान में रखेंगे तो इसमें जंग लग जाएगा. आप इसे बाहर निकालेंगे तो चमकेगी. अब चमकने का समय आ गया है.'

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'BJP का मकसद-शिवसेना को खत्म करना'
बीजेपी पर आरोप लगाते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा, 'बीजेपी का मकसद शिवसेना को समाप्त करना है क्योंकि वह हिंदू वोट बैंक को साझा नहीं करना चाहती. मैं बीजेपी और एकनाथ शिंद को चुनौती देता हूं कि वे शिवसेना के कार्यकर्ताओं और पार्टी को वोट देने वाले लोगों को अपने पाले में करके दिखाएं. शिवसेना को अपने ही लोगों ने धोखा दिया है.' 

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शिवसेना चीफ ने कहा, 'बगावत करने वाले शिवसेना के विधायकों को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया गया, जबकि आप जैसे कई शिवसैनिक नामांकन के इच्छुक थे. ये लोग आपकी कड़ी मेहनत के बल पर चुने जाने के बाद असंतुष्ट हो गए जबकि आप अब भी इस मुश्किल वक्त में पार्टी के साथ खड़े हैं. मैंने एकनाथ शिंदे से गठबंधन सहयोगियों से जुड़ी शिकायतों को देखने की बात कही थी. उन्होंने मुझसे कहा कि विधायक इस बात का दबाव डाल रहे हैं कि शिवसेना को बीजेपी से हाथ मिला लेना चाहिए. मैंने उनसे कहा कि इन विधायकों को मेरे पास लेकर आइये, इस पर चर्चा करते हैं.' 

शिंदे पर बोले उद्धव- डिप्टी सीएम तो मैं ही बना देता
उद्धव ठाकरे ने कहा, 'बीजेपी ने हमारे साथ बुरा बर्ताव किया और वादों को नहीं निभाया. कई बागियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं. इसलिए, अगर वे बीजेपी के साथ जाते हैं तो वे पाक-साफ हो जाएंगे, अगर वे हमारे साथ रहते हैं तो उन्हें जेल जाना पड़ेगा. क्या मित्रता की यही निशानी है?’ शिवसेना प्रमुख ने एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा, 'अगर शिवसेना का एक कार्यकर्ता मुख्यमंत्री बनने जा रहा है तो आपको उनके (बीजेपी के) साथ जाना चाहिए लेकिन अगर आप उपमुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं तो आपको मुझे बताना चाहिए था, मैं आपको उपमुख्यमंत्री बना देता.’ ठाकरे ने कहा कि अगर शिवसेना के कार्यकर्ताओं को लगता है कि वह पार्टी का नेतृत्व करने में सक्षम नहीं हैं तो वह पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को तैयार हैं.

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आपको बता दें कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के लगभग 37-38 विधायकों ने बगावत कर दी है. ये विधायक गुवाहाटी के एक होटल में ठहरे हैं. एकनाथ शिंदे का कहना है कि शिवसेना को बीजेपी के साथ सरकार बनानी चाहिए. वहीं, एनसीपी और कांग्रेस के नेता उद्धव ठाकरे के लगातार संपर्क में हैं. उनका कहना है कि शिवसेना के साथ कांग्रेस और एनसीपी आखिर तक खड़े हैं.

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