लोकसभा चुनाव नतीजे (Lok Sabha Elections 2024) बीजेपी के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है. भले ही एनडीए (NDA) ने बहुमत पा लिया है, लेकिन भगवा पार्टी अपने दम पर बहुमत से दूर है. इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. इसकी एक वजह ओबीसी वोट बैंक का छिटकना भी है. शीर्ष कमान चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही प्रदर्शन के आकलन में जुटी है. इसके लिए संगठन के स्तर पर भी बदलाव किए जा रहे हैं.
दूसरी ओर संगठन स्तर पर भी बड़े बदलाव किए जा रहे हैं. संगठन के स्तर पर ओबीसी और आरएसएस (RSS) से आने वाले चेहरों को प्राथमिकता दी गई है. संगठन स्तर पर फिर से संघ से आने वाले लोगों को अहम जिम्मेदारी दी जा रही है.
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बिहार और राजस्थान में OBC अध्यक्ष
बिहार, राजस्थान और महाराष्ट्र में बीजेपी ने ओबीसी (OBC) चेहरों पर भरोसा जताया है. बिहार में सम्राट चौधरी की जगह पर दिलीप जायसवाल को मौका दिया गया है. जायसवाल कलवार समुदाय से आते हैं और पार्टी ने ओबीसी वोट बैंक को बचाने के लिए इसी वर्ग का अध्यक्ष बनाया है. राजस्थान में बीजेपी को लगातार 2 लोकसभा चुनाव में 25 में से 25 सीटें मिली थी, लेकिन इस बार 11 सीटों का नुकसान हुआ है. इसे देखते हुए पार्टी ने ब्राह्मण समुदाय से आने वाले सीपी जोशी की जगह पर मदन राठौड़ को अध्यक्ष बनाया है. राठौड़ भी ओबीसी समुदाय से आते हैं.
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को देखते हुए बड़ा दांव
महाराष्ट्र में इसी साल विधानसभा चुनाव हैं और बीजेपी अपने खिसके जनाधार को पाने के लिए पूरी मेहनत कर रही है. इसके लिए ओबीसी और दलित-मराठा वोटों पर नजर रखी जा रही है. इसे देखते हुए भगवा पार्टी फिर से चार दशक पुराने फॉर्मूले पर लौटी है. बीजेपी ने एमएलसी चुनाव में पंकजा मुंडे, परिणय फुके, अमित बोरखे, योगेश टिलेकर और सदाभाऊ खोत को प्रत्याशी बनाया और चारों ने जीत दर्ज की है. इनमें से 3 ओबीसी वर्ग से और एक दलित मराठा समुदाय से आते हैं.
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