डीएनए हिंदी: देश भर में मकर संक्रांति और लोहड़ी का त्योहार धूम मचाने आ गया है. मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर देश के अलग-अलग हिस्सों में पतंगबाजी भी शुरू हो गई है. पतंगबाजी (Kites Festival) हो और उस पर राजनीति का रंग न चढ़े भला ऐसा कैसे हो सकता है. गुजरात के वडोदरा में पीएम नरेंद्र मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और योगी गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) समेत कई अन्य नेताओं की तस्वीरों वाली पतंगें भी आ गई हैं. इनके अलावा, तमाम रंग-बिरंगी पतंगें दुकानों से लेकर आसमान तक पटी हुई है. भारत के ज्यादातर हिस्सों में मकर संक्रांति के मौके से लेकर गणतंत्र दिवस तक जमकर पतंगबाजी होती है.
देशभर मकर संक्रांति से शुरू होने वाली पतंगबाजी के चलते न सिर्फ़ मनोरंजन होता है बल्कि इकोनॉमी को भी बल मिलता है. राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में मकर संक्रांति के मौके पर सैकड़ों करोड़ रुपये का कारोबार सिर्फ़ पतंगों और मांझों की बिक्री से हो जाता है. इस साल भी यह त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. पतंग और मांझे की बिक्री से एक बड़े वर्ग को रोजगार भी मिलता है.
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पतंगबाजी के मजे के साथ-साथ नियमों का पालन भी जरूरी
आसमान में उड़ने वाले पक्षियों को ध्यान में रखते हुए नायलॉन और शीशे से बने हुए मांझे प्रतिबंधित हैं. इसके अलावा, हैदराबाद पुलिस ने सड़कों और पूजा स्थलों के आसपास भी पतंग उड़ाने पर रोक लगा दी है. ट्रैफिक मैनेजमेंट को ध्यान में रखते हुए और साइकिल-बाइक सवार लोगों की सुरक्षा के लिए यह फैसला लिया गया है.
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राजस्थान के जयपुर में इस बार दो साल के बाद जलमहल की पाल पर काइट फेस्टिवल का आयोजन हो रहा है. कोरोना महामारी के चलते दो सालों से यह आयोजन नहीं हो पाया था. इस साल की पतंगबाजी 14 जनवरी को सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक होगी. आपको बता दें कि देश के कई हिस्सों में पतंगबाजी की इनामी प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं.
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