Maldives Election Result: मालदीव में चीन समर्थक मुइज्जू की जीत, भारत के साथ रिश्तों पर पड़ेगा कैसा असर? 

Written By स्मिता मुग्धा | Updated: Apr 23, 2024, 10:50 AM IST

मालदीव में जीती मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी

Maldives Election Result: मालदीव में भारत विरोधी मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी बंपर वोटों से जीत गई है. चीन समर्थक राष्ट्रपति ने इस जीत के साथ ही इशारों में भारत पर निशाना साधा है. 

मालदीव चुनाव (Maldives Election) के नतीजे भारत की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं. चीन समर्थक राष्ट्रपति की पार्टी दो तिहाई बहुमत के साथ जीतने में कामयाब रही है. जीत के बाद ही इंडिया आउट का नारा देने वाले राष्ट्रपति ने भारत का नाम लिए बिना निशाना साधा है. ऐतिहासिक तौर पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस देश के साथ भारत के रिश्ते अच्छे रहे थे. मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. हालिया चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद दोनों देशों के बीच तनाव कम होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. 

दो तिहाई बहुमत से जीती मुइज्जू सरकार 
मालदीव (Maldives) में 93 सीटों पर हुए चुनाव में पीएनसी को 66 सीटें मिली हैं. चीन समर्थक मोहम्मद मुइज्जू की पार्टी लगभग दो तिहाई बहुमत के साथ जीतने में कामयाब रही है. मुइज्जू ने पिछली बार भी सत्ता में आने से पहले भारत विरोधी बयान दिए थे. सत्ता में आने के साथ ही उन्होंने चीन के साथ अपने संबंध प्रगाढ़ करने शुरू कर दिए थे और भारत के खिलाफ एक के बाद एक कई कदम उठाए.


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चीन के साथ करीबी बढ़ा भारत को झटका दे रहे मुइज्जू 
पारंपरिक तौर पर अब तक मालदीव के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद अपना पहला दौरा भारत का करते थे. मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के बजाय पहले विदेशी दौरे के लिए चीन को चुना था. इस द्वीपीय देश की स्थिति रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण है. चीन मालदीव में भारी निवेश कर रहा है और बड़े पैमाने पर उसे कर्ज के मकड़जाल में फंसा रहा है. चीन की कोशिश मालदीव की जमीन पर अपनी स्थिति मजबूत करने की है. 


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भारत ने हमेशा दिया है मालदीव का साथ
चीन मालदीव पर अपना नियंत्रण बनाना चाहता है. दोनों देशों के बीच खाद्य सुरक्षा, एग्रीकल्चर और इंफ्रास्ट्रक्चर समेत कई मुद्दों पर करार हुआ है. मालदीव के राष्ट्रपति का पद संभालते ही मुइज्जू ने भारत के सैनिकों को वापस भेजने का फैसला किया है. मालदीव और भारत के रिश्तों में हमेशा गर्मजोशी और विश्वास रहा था. द्वीपीय देश जब गृहयुद्ध की आग में झुलस रहा था, तब भी भारत ने अपनी सेना भेजकर स्थिति नियंत्रित करने में मदद की थी. 

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