डीएनए हिंदी: भारत से पंगा लेकर मालदीव ने अपने सिर पर बिना बुलाए मुसीबत मोल ले ली है. सोशल मीडिया पर बॉयकॉट मालदीव के ट्रेंड ने वहां की सरकार में बेचैनी पैदा कर दी है. खबर है कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू रिश्तों में आए इस तनाव को कम करने के लिए अपने स्तर पर कोशिश करने में जुट गए हैं. द्वीपीय देश की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा टूरिज्म पर निर्भर करता है और भारत से आने वाले पर्यटक, फिल्मों की शूटिंग वगैरह का भी इसमें बड़ा हाथ है. खबर है कि फिलहाल चीन की यात्रा पर गए राष्ट्रपति मुइज्जू संबंधों में आए तनाव को कम करने के लिए भारत की यात्रा पर आना चाहते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि उन्होंने इसके लिए प्रस्ताव भी भेजा है.
अब तक परंपरा चली आ रही थी कि मालदीव के राष्ट्रपति सत्ता संभालने के बाद सबसे पहले भारत की यात्रा करते थे. दोनों देशों के बीच काफी गहरे कूटनीतिक संबंध रहे हैं. मोहम्मद मुइज्जू को चीन का समर्थक कहा जाता है और पिछले साल नवंबर में पदभार संभालने के बाद से वह लगातार बीजिंग के लिए अपनी निष्ठा जाहिर करते रहते हैं. सत्ता में आने के बाद से वह तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात का दौरा कर चुके हैं. फिलहाल सोमवार से वह अपनी चीन यात्रा पर हैं.
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भारत विरोधी छवि रही है मोहम्मद मुइज्जू की
बताया जा रहा है कि भारत की यह यात्रा मंत्रियों के भारत विरोधी बयान से पहले ही प्रस्तावित थी लेकिन पीएम मोदी पर की गई टिप्पणियों के बाद अस्वाभाविक तनाव का माहौल बन गया है. द्वीपीय देश मालदीव की आबादी 5.2 लाख है और मुइज्जू ने सत्ता में आने के बाद से अपनी भारत विरोधी छवि को और मजबूत किया है. चुनाव प्रचार के दौरान भी उन्होंने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला था. सत्ता में आने के साथ उन्होंने भारतीय सैनिकों को अपने देश से भेजने का फैसला लिया था.
भारत ने मालदीव की हमेशा करती रही है मदद
ऐतिहासिक तौर पर मालदीव की मदद भारत ने हमेशा ही की है. राजनीतिक अस्थिरता के दौर से लेकर प्राकृतिक संकट और महामारी के वक्त भी भारत ने ही सबसे पहले मालदीव की मदद की थी. मालदीव में जब तख्तापलट की कोशिश हुई थी भारत ने ही सैन्य सहायता कर इस राजनीतिक अस्थिरता को नियंत्रित किया था. 2004 की सुनामी और 2014 में जल संकट के दौरान भारत सबसे पहले आगे आया. कोरोना काल में भी भारत ने वैक्सीन के जरिए मालदीव को मदद दी थी.
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