डीएनए हिंदी: दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो पहले सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में कुक हुआ करता था. बीएसएफ की नौकरी छोड़ने के बाद इस शख्स ने तीन साल में कई लोगों से ठगी की. पुलिस ने बताया है कि मल्टी-लेवल मार्केटिंग के बहाने इस शख्स ने तीन साल में 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा की ठगी की. जानकारी के मुताबिक, यह शख्स धोखाधड़ी के 59 मामलों में आरोपी था और 46 मामलों में उसे भगोड़ा घोषित किया जा चुका है.
इस आरोपी की पहचान राजस्थान के जोधपुर निवासी राम उर्फ राम मारवाड़ी के रूप में हुई है. वह एक मल्टी-लेवल मार्केटिंग कंपनी के जरिए धोखाधड़ी के 59 मामलों में शामिल था और 46 मामलों में उसे भगोड़ा घोषित किया गया था. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के डिप्टी कमिश्नर विचित्रवीर सिंह ने बताया कि गुरुवार को विशेष सूचना मिली थी कि आरोपी अपने जानकार से मिलने रोहिणी आ रहा है. सूचना के आधार पर टीम गठित की गई और जाल बिछाकर आरोपी को पकड़ लिया गया.
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15 साल में किए कई कारोबार
पूछताछ में आरोपी ने रसोइया बनने से लेकर राजस्थान के धोखेबाज बनने तक के अपने सफर का खुलासा किया है. डीसीपी विचित्रवीर सिंह ने कहा, 'उसने बीएसएफ में एक रसोइया का काम छोड़ा और कुछ ऐसा करने का फैसला लिया जिससे वह अमीर बन सके. साल 2007 में उसने राजस्थान के जयपुर में एक सिक्योरिटी एजेंसी खोली और 60 कर्मचारियों की भर्ती की. इसके बाद उसने सुरक्षा एजेंसी को एक पूर्व सैनिकों को बेच दिया और एक एमएलएम कंपनी मिताशी मार्केटिंग एंड कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड में एजेंट के रूप में काम करना शुरू कर दिया. वहां उसने लगभग 1.5 करोड़ रुपये कमाए.'
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आरोपी राम मारवाड़ी ने साल 2008 में एक नई कंपनी बनाई और 2009 में इसे एक लिमिटेड कंपनी बना दिया और खुद इसका मैनेजिंग डायरेक्टर बन गया. डीसीपी ने बताया, 'यह कंपनी नए सदस्यों के शामिल होने पर कमीशन की पेशकश करती थी. हर सदस्य को 4,000 रुपये जमा करने होते थे और बदले में हर सदस्य को 400 रुपये का सफारी सूट मिलता था. कमीशन के लिए ज़रूरी शर्त पूरी करने के लिए हर सदस्य को कम से कम 10 और सदस्यों को शामिल करना होता था. सदस्यों को उनके निवेश पर सुनिश्चित रिटर्न की भी गारंटी दी गई थी.'
MLM कंपनी के ज़रिए ठगे करोड़ों रुपये
इसके अलावा, लाख रुपये प्रति माह का कारोबार लगातार 12 महीने तक देने पर सदस्य को कंपनी की ओर से मोटरसाइकल मिलेगी. इस तरह के लालच देखकर हजारों सदस्य इस योजना से जुड़ गए और राम ने उन्हें 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर डाली. कुछ समय बाद, जब कंपनी ने कमीशन के पेमेंट और रीपेमेंट में गड़बड़ शुरू कर दी तो 2011 में राजस्थान में कंपनी के खिलाफ बड़ी संख्या में आपराधिक मामले और शिकायतें दर्ज की गईं.
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केस दर्ज होते देख वह मध्य प्रदेश के इंदौर भाग गया और वहां सहकारी समिति के लिए लाइसेंस प्राप्त किया. डीसीपी ने आगे बताया, 'उसके बाद वह राम और राम मारवाड़ी जैसे नाम बदल-बदलकर रहने लगा. इसके बाद, उसने विभिन्न व्यवसायों में काम किया, जिसमें उसने पैसे गंवाए. साल 2014 में वह दिल्ली आया और प्रॉपर्टी का कारोबार शुरू किया.' साल 2018 में, आरोपी ने किराने की दुकान खोली लेकिन फिर से नुकसान हुआ. पिछले साल, उसने 'अपना कार्ट' नामक एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की स्थापना की. आरोपी ने अपना ठिकाना इंदौर शिफ्ट कर लिया और वहां किराए के मकान में रहता था. अधिकारी ने कहा, 'उसके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए, ऐसा लगता है कि इस मंच के माध्यम से भी उन्होंने लोगों को धोखा देकर जल्दी पैसा कमाया होगा.'
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