मणिपुर एक साल से ज्यादा समय से सांप्रदायिक हिंसा की जद में है. लंबे समय से हिंसा की घटनाएं वहां निरंतर जारी है. बीच-बीच में ये घटनाएं अपने चरम पर पहुंच जाती है. ऐसा एक बार फिर से पिछले दिनों हुआ है, जब मैतेय समुदाय से आने वाले 6 लोगों की लाश बरामद की गई. इसके बाद से राज्य का सियासी पारा फिर से गरमा चुका है. लोगों का आक्रोश अपने चरम पर जा पहुंचा है. इस सियासी घमासान के बीच बीजेपी बुरी तरह से फंसती हुई नजर आ रही है. मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह की ओर से सीएम की अगुवाई वाली एक बैठक रखी गई थी. इस बैठक में 37 में से 19 बीजेपी विधायक गैरहाजिर रहे.
क्या गिर जाएगी बीरेन सिंह की सरकार?
जानकारों के मुताबिक पार्टी के भीतर कुछ भी सही नहीं चल रहा है. हाल में हिंसा के बाद से पार्टी के भीतर सीएम और मौजूदा सरकार को लेकर असंतोष की भावना भड़क चुकी है. माना जा रहा है कि इस अंदरूनी कलह की वजह से बीरेन सिंह की सरकार को खतरा भी हो सकता है. पिछले ही दिनों राज्य में बीजेपी की सहयोगी पार्टी NPP ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. सीएम की मीटिंग से नदारद रहने वाले नेताओं में मैतेय और कूकी दोनों तबके से आने वाले विधायक शामिल हैं. इस हालिया घटनाक्रम ने राज्य के सीएम के सिरदर्द को बढ़ा दिया है.
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क्या हैं राज्य के सियासी समीकरण?
असल में राज्य में विधानसभा की 60 इनमें से बीजेपी को 53 का समर्थन प्राप्त था. राज्य में बीजेपी ने एक बड़ा गठबंधन बनाया था, इसमें NPP के 7, नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) के 5, JDU के 1 और 3 निर्दलीय मौजूद थे. NPP की ओर से समर्थन वापसी की घोषणा और बीजेपी के भीतर के फूट को देखते हुए मौजूद सरकार के ठिके रहने को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए हैं.
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