डीएनए हिंदी: मणिपुर में महीनों से जारी जातीय हिंसा के बीच मंगलवार को संदिग्ध उग्रवादियों ने एक पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी. घटना तेंगनौपाल जिले के मोरेह की है. गोली लगने से एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई. यह घटना तब हुई जब मोरेह उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (SDPO) चिंगथम आनंद सीमावर्ती शहर के पूर्वी मैदान में एक नवनिर्मित हेलीपैड का निरीक्षण कर रहे थे. इस घटना के बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एसडीपीओ को मोरेह के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया. घटना के बाद पुलिस ने उग्रवादियों को पकड़ने के लिए इलाके में व्यापक तौर पर अभियान शुरू कर दिया है. मणिपुर सरकार के सूत्रों ने बताया कि पुलिस अधिकारी की पेट में गोली लगी थी. सूत्रों ने बताया कि इसके बाद सुरक्षा बलों ने खतरे को बेअसर करने के लिए इलाके में एक अभियान चलाया है.
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क्या बोले CM बीरेन सिंह
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस घटना पर लिखा कि वह पुलिस अधिकारी की नृशंस हत्या से बहुत दुखी हैं. लोगों की सेवा और सुरक्षा के प्रति उनके समर्पण को हमेशा याद किया जाएगा. अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा. वहीं, मणिपुर सरकार ने इस घटना के बाद आपातकालीन कैबिनेट बैठक की. जिसके बाद कहा गया कि कड़े शब्दों में इस कायरतापूर्ण कृत्य की निंदा करती है क्योंकि मई में हुई जातीय हिंसा के बाद पूरे मणिपुर में समुदाय लगभग दो महीने से शांति लाने के लिए संयम बरत रहे हैं. मणिपुर सरकार ने बयान में कहा कि उसने पुलिस अधिकारी के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मंजूरी दी है. समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, यह घटना कई नागरिक समाज संगठनों, खासकर मोरेह स्थित संगठनों के सदस्यों द्वारा सीमावर्ती शहर से राज्य बलों को हटाने की मांग के कुछ दिनों बाद हुई है.
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3 मई को मणिपुर में पहली बार हुई थी झड़प
मणिपुर में 3 मई को चुराचांदपुर शहर में पहली बार हुई झड़प के बाद व्यापक पैमाने पर हिंसा देखी गई है. ये झड़पें आदिवासी समूहों द्वारा राज्य के आरक्षण मैट्रिक्स में प्रस्तावित बदलाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के आह्वान के बाद हुईं. इसमें मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिया गया था. हिंसा तेजी से पूरे राज्य में फैल गई। बताया जाता है कि राज्य में कम से कम 175 लोग मारे गए हैं और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं. लोगों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को जला दिया गया.
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