Manoj Jarange ने दे डाली मंडल आयोग को चुनौती देने की धमकी, जानिए क्या है वजह

Written By नीलेश मिश्र | Updated: Feb 08, 2024, 11:41 PM IST

Chhagan Bhujbal and Manoj Jarange

Maratha Reservation: छगन भुजबल के बयानों पर भड़के मनोज जरांगे पाटिल ने कहा है कि अगर वह ऐसे ही विरोध करते रहे तो मंडल आयोग को भी चुनौती दी जाएगी.

मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले मनोज जरांगे पाटिल अब छगन भुजबल पर भड़क गए हैं. वरिष्ठ नेता छगन भुजबल के बारे में मनोज जरांगे ने कहा है कि अगर वह मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) की राह में बाधा पैदा करेंगे तो वह (मनोज) मंडल आयोग को चुनौती देंगे. बीते कुछ महीनों में कई आंदोलन कर चुके मनोज जरांगे पाटिल ने अपनी कुछ मांगें रखते हुए कहा है कि अगर उन्हें माना नहीं गया तो वह 10 फरवरी से नए सिरे से भूख हड़ताल शुरू कर देंगे. 

मनोज जरांगे ने यह भी चेतावनी दी कि अगर सरकार ने सगे-संबंधी या उन लोगों के रिश्तेदारों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के अपने आश्वासन पर अमल नहीं किया, जिन्होंने पहले से ही खुद को कुनबी समुदाय से संबंधित बताया है, तो वह 10 फरवरी से नए सिरे से भूख हड़ताल शुरू करेंगे. कुछ समय पहले ही खुद महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने उनकी मांग मान ली थी और खुद पहुंचकर उनका आंदोलन खत्म करवाया था.

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क्यों धमकी दे रहे हैं मनोज जरांगे?
अब मनोज जरांगे ने कहा, "जैसे आपके बेटे-बेटियां हैं, वैसे ही हमारे भी बेटे-बेटियां हैं. हम मंडल आयोग को चुनौती नहीं देना चाहते. आप जियो और हमें जीने दो लेकिन अगर आपने हमारे आरक्षण की राह में बाधाएं पैदा कीं, तो हमारा धैर्य जवाब दे जाएगा और हमें मंडल आयोग को चुनौती देनी पड़ेगी."

गौरतलब है कि शिक्षा और सरकारी नौकरियों में ओबीसी समुदायों के लिए आरक्षण करीब तीन दशक पहले मंडल आयोग की रिपोर्ट के आधार पर पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया था. छगन भुजबल के बारे में मनोज जरांगे ने कहा, 'राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री और ओबीसी नेता छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण के लिए तीन बार समस्याएं पैदा की हैं. उन्हें ऐसा करने से बचना चाहिए.'

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दरअसल, छगन भुजबल मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र देने की सुविधा देने के राज्य सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं, जो मनोज जरांगे की मांग थी. मनोज जरांगे ने कहा, '10 फरवरी से प्रस्तावित भूख हड़ताल संगे-संबंधी आदेश के कार्यान्वयन के लिए है. मराठा आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को रद्द करने की मांग भी पूरी नहीं हुई है."

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