लोक सहकारी आवास समिति के सदस्यों को बड़े लंबे संघर्ष के बाद इंसाफ मिल गया है. पूर्व समिति सदस्यों के खिलाफ आम नागरिकों की शिकायत और नगर मजिस्ट्रेट शुभांगी शुक्ला के आदेश के बाद हुए निर्णय से सोसायटी के लोगों के बीच खुशी का माहौल है. सोसायटी में रहने वाले लगभग 50 लोगों को इसका फायदा हुआ है. यह सभी लोग अपने मकान की पूरी कीमत देकर भी रजिस्ट्री नहीं करा पा रहे थे. इसके लिए यह लोग पिछले 18 सालों में गाजियाबाद से लखनऊ के सौकड़ों चक्कर लगा चुके हैं. इसके बाद अब सोसायटी में मकान खरीदने वाले लोगों को उनका हक मिल चुका है.
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क्या है पूरा मामला?
वसुंघरा की वार्ता लोक सोसायटी में लगभग 50 सदस्यों का पूरा पैसा जमा होने के बाद भी उनकी रजिस्ट्री नहीं हो पा रही थी. मिली जानकारी के अनुसार लोगों ने आरोप लगाया है कि उनसे रजिस्ट्री के एवज में अवौध धन की मांग की जा रही थी. इसके बाद साल 2022 में कुछ सदस्यों ने समिति पदाधिकारियों की शिकायत जिलाधिकारी, आवास आयुक्त, उत्तर प्रदेश आवास और विकास परिषद से की थी. शिकायत के बाद
उप-आवास आयुक्त सहकारिता लखनऊ द्वारा जांच कमेटी का गठन किया गया. कमेटी ने इस मामले की बारीकी से जांच की. इस मामले की जांच में पता चला कि यह शिकायत सही थी. इसके बाद जनवरी 2023 में उप आवास आयुक्त सहकारिता लखनऊ ने समिति की प्रबंध कमेटी को समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव को तुरंत हटाए का आदेश दिया था.
18 सालों बाद मिला हक
वार्तालोक समिति के एक 78 वर्षीय सदस्य काशीनाथ खंडूरी ने 18 साल पहले इस समिति में फ्लैट लिया था. आपको बता दें कि करीब 18 सालों तक समिति कार्यालय आवास विकास परिषद के वसुंधरा और लखनऊ के अनगिनत चक्कर काटने के बाद फरवरी 2024 में उनकी रजिस्ट्री हुई. अब 18 सालों बाद उन्हें फ्लैट का मालिकाना हक मिला है. काशीनाथ खंडूरी ने बताया कि उन्होंने इतने प्रयास करने के बाद फ्लैट का मानिकाना हक मिलने की उम्मीद छोड़ चुके थे. लेकिन ईमानदार कमेटी का गठन हेने के बाद उन्हें उनका हक मिल गया.
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