Shri Krishna Janmbhoomi: मथुरा की अदालत में आज होगी सुनवाई, जानें श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद विवाद में अब तक क्या-क्या हुआ?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 04, 2022, 09:19 AM IST

मथुरा सिविल कोर्ट ने विवादित स्थल का सर्वे कराने का आदेश दिया है.

Shri Krishna Janmbhoomi: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में पिछली सुनवाई में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड हाजिर नहीं हुआ था. इसके कारण सुनवाई टाल दी गई थी. 

डीएनए हिंदीः श्रीकृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmbhoomi) और शाही मस्जिद विवाद (Shahi Masjid Case) मामले में आज मथुरा की जिला कोर्ट में सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड हाजिर नहीं हुआ था जिसके कारण मामले की सुनवाई टाल दी गई थी. याचिकाकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को एप्लीकेशन तामील कराने की बात कही थी. अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि को मुक्त कराने के अलावा शाही ईदगाह में भगवान श्री कृष्ण से जुड़े साख्य होने का दावा करते हुए प्रार्थना पत्र दाखिल किए हैं. मथुरा की अदालत में महेंद्र प्रताप सिंह की तरफ से 9 प्रार्थना पत्र दाखिल हैं जिन पर सुनवाई चल रही है. 
 
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद क्या है? 
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि के मालिकाना हक को लेकर विवाद चल रहा है. इसमें से 10.9 एकड़ जमीन कृष्ण जन्मस्थान के पास है और बाकी 2.5 एकड़ जमीन ईदगाह मस्जिद के पास है. इस मामले में हिन्दू पक्ष का दावा है कि औरंगजेब ने मंदिर को तुड़वाकर ईदगाह मस्जिद का निर्माण करवाया था. इतिहास में दर्ज घटनाओं के अनुसार इस जगह पर कई बार मंदिर को तोड़ा और बनाया गया है. हालांकि मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने ही करवाया था. कोर्ट में दाखिल याचिका में पूरी जमीन लेने और श्री कृष्ण जन्मभूमि के बराबर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है.

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वीडियोग्राफी कराने की मांग
याचिकाकर्ता ने विवादित स्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराने की भी  मांग की थी. निचली अदालत में ये मामला लंबित है. लगातार देरी होने के चलते याचिकाकर्ता मनीष यादव ने हाईकोर्ट का रूख किया. मनीष ने हाईकोर्ट में भी यही मांग की. इसके बाद कोर्ट ने निचली अदालत से आख्या मांगी. इसी मामले में हाईकोर्ट में 29 अगस्त को सुनवाई हुई. कोर्ट ने मंदिर पक्ष की ओर से निचली अदालत में दाखिल अर्जी पर चार महीने में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है.  

1968 में हुआ था समझौता
12 अक्तूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझौता किया. उस समय भारत के उद्योगपतियों के एक संघ जिसमें रामकृष्ण डालमिया, हनुमान प्रसाद पोद्दार और जुगल किशोर बिड़ला शामिल थे, ने जमीन खरीदी और श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट का निर्माण करते हुए यहां भव्य केशवदेव मंदिर का निर्माण किया. तब समय के साथ ट्रस्ट ने पड़ोसी ईदगाह के साथ इस मुद्दे को सुलझा लिया गया और मस्जिद के हिस्से की जमीन ईदगााह को दे दी. पूरा विवाद इसी 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है.  

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