मथुरा कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है. उच्च न्यायालय ने कहा कि हिंदू पक्ष की ओर से दायर की गईं याचिकाएं सुनवाई योग्य हैं. यानी अब हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं पर सुनवाई होगी. अदालत ने इस वाद में मुद्दे तय करने के लिए 12 अगस्त की तारीख निर्धारित की है.
मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मयंक कुमार जैन ने मुकदमे की पोषणीयता के संबंध में उनकी दलीलें खारिज कर दीं. तकनीकी टर्म में समझा जाए तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की ऑर्डर 7 रूल 11 की आपत्ति वाली अर्जी खारिज कर दी.
'60 साल पुराने समझौते को गलत बताना ठीक नहीं'
मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील दी गई कि इस जमीन को लेकर दोनों पक्षों के बीच 12 अक्टूबर, 1968 को एक समझौता हुआ था. 60 साल बाद इस समझौते को गलत बताना सही नहीं है. लिहाजा इस मामले में हिंदू पक्ष की ओर से दायर की गई याचिकाओं को खारिज किया जाए.
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मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि एक समझौते को चुनौती देने की समय सीमा तीन वर्ष है, लेकिन यह वाद 2020 में दायर किया गया, इसलिए मौजूदा वाद समय सीमा बाधित है. मुकदमों की पोषणीयता के संबंध में मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस जैन ने 6 जून को निर्णय सुरक्षित रख लिया था. ये मुकदमे शाही ईदगाह मस्जिद के ढांचे को हटाकर कब्जा दिलाने और मंदिर का पुनर्निमाण कराने की मांग के साथ दायर किए गए हैं.
हिंदू पक्ष की क्या मांग?
हाईकोर्ट में अब इस मामले में सुनवाई 12 अगस्त को होगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट से हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना है. हिंदु पक्ष की ओर से दायर 18 याचिकाओं में कहा गया कि मथुरा की शाही ईदगाग मस्जिद की जमीन हिंदुओं की है. इसलिए उन्हें वहां पूजा करने का अधिकार मिले.
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