डीएनए हिंदी: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में आज (21 नवंबर) इलाहाबाद हाईकोर्ट बड़ा फैसला सुनाने वाला है. ईदगाह मस्जिद परिसर में पुरातात्विक सर्वे (ASI) कराया जाए या नहीं इसको लेकर हाईकोर्ट आज फैसला सुनाएगा. इस मामले में अदातल ने 16 अक्टूबर को याचिका पर सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. हिंदू पक्ष की ओर से कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर ईदगाह परिसर में सर्वे कराए जाने की मांग की गई थी.
श्रीकृष्ण विराजमान की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि वाराणसी की ज्ञानवापी परिसर की तर्ज पर मथुरा में श्रीकृष्ण जन्म स्थान पर बनी शाही ईदगाह का भी वैज्ञानिक और आधुनिक तकनीक से ASI सर्वे कराया जाए. हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन ने कहा कि परिसर में मौजूद पुराने मंदिर के निशान और सबूत मिटाने की कोशिश हो रही है. वहीं, मस्जिद इतंजामिया कमेटी ने सर्वे कराए जाने की मांग का विरोध किया है.
दोनों पक्षों की क्या है मांग
बता दें कि 16 नवंबर को इलाराबाद हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में मथुरा की विभिन्न अदालतों में 18 से ज्यादा मामले लंबित हैं. हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिकाओं में कथित तौर पर कहा गया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास बनी शाही ईदगाह मस्जिद अवैध है इसे हटाया जाना चाहिए. ताकि अयोध्या की तरह मथुरा में भी भव्य कृष्ण मंदिर का निर्माण हो सके.
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वहीं, इन याचिकाओं का मुस्लिम पक्ष की ओर से सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने विरोध किया है. उन्होंने कहा कि इस तरह के आवेदन पर कोई आदेश पारित करने की जरूरत नहीं है. मुकदमे की स्थिरता के संबंध में उनकी आपत्ति लंबित है. दायर याचिकाओं में कुल चार पक्षकार हैं. जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संघ और श्री कृष्ण जन्मभूमि संघ शामिल हैं.
क्या है पूरा विवाद?
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर विवाद दशकों पुराना है.यह विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक लेकर है. 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझौता किया था. इस समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनने की बात हुई थी. गौरतलब है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है जबकि ढाई एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. लेकिन अब हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाई गई बता रहा है.
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