विदेश मंत्रालय के E-mail सर्वर पर साइबर अटैक, गोपनीय डेटा लीक, डार्क वेब पर लग रही बोली, कैसे हुई धांधली, समझिए

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 24, 2023, 06:45 AM IST

MEA के सर्वर पर साइबर अटैक.

हैकर्स विदेश मंत्रालय का ई-मेल डेटा 6 लाख रुपये में बेचने का दावा कर रहे हैं. यह अब तक का सबसे बड़ा साइबर अटैक है.

डीएनए हिंदी: देश के मंत्रालयों के गोपनीय दस्तावेजों पर साइबर हमलावरों की नजर है. साइबर सिक्योरिटी में सेंध लगाने की कोशिश में हमलावर जुटे हैं. Zee News की एक्सक्लूसिव पड़ताल में यह बात सामने आई है कि विदेश मंत्रालय के ईमेल सर्वर को हाल ही में हैक कर लिया गया था. जाहिर है, यह देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अब तक का सबसे बड़ा साइबर हमला है. विदेश मंत्रालय ने भी सुरक्षा में सेंध की पुष्टि की है.

साइबर अटैकर्स ने बीते साल AIIMS के सर्वर पर अटैक किया था. पूरा सर्वर एक हफ्ते से ज्यादा वक्त तक हैकरों के कब्जे में रहा. इस दौरान अस्पताल की ऑनलाइन कार्यप्रणाली बुरी तरह ठप रही. हैकरों ने डेटा को वापस करने के लिए 200 करोड़ की फिरौती मांगी थी. सुरक्षा एजेंसियां पड़ताल में जुटी रहीं लेकिन कुछ भी ट्रेस नहीं हो सका. अब विदेश मंत्रालय पर ऐसा ही हमला हुआ है.

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आइए जानते हैं कि विदेश मंत्रालय के सर्वर पर अटैक कैसे हुआ, अब तक क्या-क्या डेटा चोरी हुआ है.

1. डार्क वेब पर सक्रिय एक हैकर ने विदेश मंत्रालय के ई-मेल सर्वर को हैक कर लिया.

2. विदेश मंत्रालय के गोपनीय ई-मेल अब डार्क वेब पर 'बिक्री' के लिए उपलब्ध हैं.

3. मंत्रालय के कम से कम 15 वरिष्ठ अधिकारियों के ई-मेल आईडी और पासवर्ड डार्क-वेब पर लीक हो गए हैं.

4. विदेश मंत्रालय का डेटा 6 लाख रुपये से 22 लाख रुपये के बीच बिक रहा है.

5. केंद्रीय एजेंसियों ने मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है.

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कैसे सामने आई डेटा ब्रीच की बात?

Zee News के पत्रकार शिवांक मिश्रा ने विदेश मंत्रालय के डेटा की कीमत पूछी. हैकर्स ने वेबसाइट की सारी जानकारियों को शेयर करने के एवज में 21.80 लाख रुपये मांगे. हैकर्स ने गोपनीय ई-मेल आईडी डेटा के लिए 6 लाख रुपये की मांग की. हैकर्स ने दावा किया कि उनके पास विदेश मंत्रालय का 25 जीबी डेटा है. 

हैकर ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और विदेशी देशों के उनके समकक्षों के बीच ईमेल पर हुई बातचीत को भी साझा किया. बाद में, ज़ी न्यूज़ ने अपनी जांच में पाया कि हैकर सबसे अधिक उत्तर कोरिया से काम कर रहा था. इसे अब तक का सबसे बड़ा साइबर अटैक कहा जा रहा है. देश को मजबूत सर्वरों की जरूरत है, जिसमें सेंध न लगाई जा सके.

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