Kanwar Yatra 2022: उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा के दौरान बंद रहेंगी मीट की दुकानें, बाहर से ढकी रहेगी लिकर शॉप

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 19, 2022, 03:47 PM IST

कांवड़ यात्रा करते श्रद्धालु. (फाइल फोटो)

Kanwar Yatra 2022: कांवड़ रूट की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार ने बेहद सख्त इंतजाम किए हैं. कांवड़ियों की सेवा के लिए स्थानीय लोग भी अब आगे आ रहे हैं.

डीएनए हिंदी: सावन के साथ-साथ कांवड़ यात्रा (Kanwa Yatra 2022) की भी शुरूआत हो गई है. सावन (sawan 2022) महीने में गंगा के पवित्र जल से शिव भक्त शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं. हिंदुओं के लिए पवित्र माने वाले इस महीने में उत्तराखंड प्रशासन ने कांवड़ यात्रा के दौरान मीट और शराब को लेकर कुछ अहम फैसला किया है. कांवड़ रूट पर सभी शराब की दुकानों को बाहर से कवर किया जाएगा जबकि कांवड़ यात्रा मार्ग पर मांस की दुकानें बंद रहेंगी.

हरिद्वार सिटी के एसपी स्वतंत्र के सिंह ने कहा है कि प्रशासन के इस आदेश का उल्लंघन नहीं होगा. पाबंदियों को लागू करवाने के लिए पुलिस बल तैनात रहेंगे. जब तक कांवड़ यात्रा जारी रहेगी, यह आदेश लागू रहेगा. 

हरिद्वार के डीएम विनय शंकर पांडेय ने कहा है कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर मांस की दुकानें बंद रहेंगी जबकि सड़क के सामने वाली शराब की दुकानें ढकी रहेंगी. उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल करीब 4 करोड़ कांवड़ यात्री दर्शनों के लिए आएंगे.

दिल्ली में भी लागू है पाबंदियां

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने भी यात्रियों के लिए सख्ती भरे निर्देश जारी किए हैं. 20 जुलाई से कांवड़ यात्रियों के दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है. 23 से 26 जुलाई के बीच शहर में सबसे ज्यादा कांवड़ यात्री पहुंचेंगे, पुलिस ने खान-पान से लेकर सोशल मीडिया के इस्तेमाल तक के लिए निर्देश जारी किए हैं.

Kanwar Yatra Alert: Delhi Police की सख्ती-मांस खाने के बाद हड्डियों को रास्ते पर ना फेंके, और कई निर्देश जारी

यात्री मांसाहारी भोजन (Non Veg Food) का सेवन करके हड्डियों को कहीं भी पीछे छोड़ देते हैं, इसलिए रूट पर नजर रखी जाएगी. यात्री अपने साथ त्रिशूल, तलवार, लाठी लेकर चलते हैं ऐसे में किसी भी तरह की दंगे वाली घटना या संवेदनशील मामलों में लड़ाई ना हो इसका भी ध्यान रखा जाएगा.

कांवड़ यात्रा में रखें इन बातों का ध्यान, यात्रा का महत्व जानें

क्यों शुरू हुई थी कांवड़ यात्रा?


हिंदू धार्मिक किताबों के मुताबिक कांवड़ यात्रा की शुरुआत श्रवण कुमार ने त्रेता युग में की थी. श्रवण कुमार माता-पिता के कहने पर कांवड़ लेकर आए थे. इस दौरान श्रवण कुमार अपने माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर हरिद्वार गंगा स्नान कराने के लिए ले गए थे और वहां से लौटते वक्त गंगाजल लेकर आए थे. इसी गंगाजल से श्रवण कुमार ने अपने माता-पिता के हाथों से शिवलिंग पर जलाभिषेक करवाया था और तभी से कांवड़ यात्रा की शुरूआत हुई थी.

क्यों गंगा जल ही भरते हैं कांवड़ यात्री, जानिए इसके पीछे की कहानी

हर साल लाखों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा करते हैं. कावड़ रूट से गुजरने वाले तीर्थयात्रियों के लिए प्रशासन की ओर से कई कदम उठाए जाते हैं और स्थानीय लोग भी उनकी मदद के लिए आगे आते हैं.
 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.