Saalumarada Thimmakka: 111 साल की उम्र में इस महिला को मिली कैबिनेट रैंक, जानें क्या है वो खास वजह

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 12, 2022, 11:15 AM IST

Saalumarada Thimmakka

who is 111 year old Saalumarada Thimmakka: सालुमरादा थिमक्का हम सबके सामने एक ऐसी मिसाल पेश करती हैं. उनका जीवन बताता है कि सिर्फ अपने बारे में ही नहीं पर्यावरण और प्रकृति के बारे में सोचना भी कितना जरूरी है.

डीएनए हिंदी: कर्नाटक के तुमकुरु जिले में उनका जन्म हुआ. वह पढ़ी-लिखी नहीं हैं. मजदूरी करके अपना जीवन चलाती थीं. फिर शादी हुई, मगर बच्चे नहीं हो सके. इसके बाद उन्होंने कुछ ऐसा करना शुरू किया, जिसकी वजह से उन्हें देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म श्री भी मिल चुका है. अब 111 साल की उम्र में उन्हें कैबिनेट रैंक भी दी गई है. कौन हैं ये और क्या है इनकी कहानी जानते हैं-

इनका नाम है Saalumarada Thimmakka
सालुमरादा थिमक्का पिछले 80 सालों मे 8 हजार से ज्यादा पेड़ लगा चुकी हैं. इसी वजह से उन्हें वृक्षमाता भी कहा जाता है. उनके जीवन में आर्थिक तंगी इतनी थी कि उन्हें मजदूरी करके घर चलाना पड़ता था. शादी के बाद जब बच्चे नहीं हुए तो उन्होंने एक बच्चे को गोद ले लिया. मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि थिमक्का को बचपन से ही पौधों से बहुत लगाव था. जब बच्चे नहीं हुए तब उन्होंने अपने इस लगाव को आकार देना शुरू किया और पेड़ लगाने लगीं. अब उनके नाम हजारों पेड़ लगाने का रिकॉर्ड भी है. 

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अब तक लगा चुकी हैं 8 हजार से ज्यादा पौधे
थिमक्का ने एक साल में पांच पेड़ लगाने से शुरुआत की थी. इसके बाद हर साल वह पेड़ों की संख्या में 5 पेड़ जोड़ती जातीं. इस तरह एक साल 5, फिर 10 और फिर 15 पेड़ लगाए. अब यह गिनती 8 हजार तक पहुंच चुकी है.इसमें 385 बरगद के पेड़ अलग से शामिल हैं. कहा जाता है कि वह पेड़-पौधों को बिलकुल अपने बच्चों की तरह प्यार करती हैं और वैसे ही उनकी देखरेख भी.

मिल चुके हैं कई पुरस्कार
थिमक्का को सन् 2019 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. 2020 में उन्हें कर्नाटक के केंद्रीय विश्वविद्यालय ने डॉक्टरेट की उपाधि भी दी थी. अब कर्नाटक सरकार ने उन्हें पर्यावरण राजदूत के रूप में कैबिनेट रैंक दी है. कैबिनेट रैंक में कैबिनेट मंत्री जैसी सुविधाएं ही मिलती हैं, लेकिन दोनों में फर्क होता है. कैबिनेट रैंक वाले व्यक्ति का सभी कैबिनेट बैठकों में शामिल होना जरूरी नहीं है. उन्हें निमंत्रण पर ही इनमें आना होता है इसी तरह अन्य कार्यों के लिए भी उन्हें बाध्य नहीं किया जाता है.

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