Kashmir मुद्दे पर पाकिस्तान से बातचीत की वकालत क्यों कर रही हैं महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 11, 2022, 10:48 PM IST

इल्तिजा मुफ्ती और महबूबा मुफ्ती. (फाइल फोटो)

महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती चाहती हैं कि कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और पाकिस्तान से केंद्र सरकार बात करे.

डीएनए हिंदी: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti
) की बेटी इल्तिजा मुफ्ती (Iltija Mufti) ने कश्मीर मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए पाकिस्तान (Pakistan) और हुर्रियत कांफ्रेंस (Hurriyat Conference) के साथ बातचीत की एक बार फिर वकालत की है. रविवार को इल्तिजा मुफ्ती ने जोर दिया कि इस क्षेत्र को एक आर्थिक केंद्र के तौर पर विकसित किया. उन्होंने कहा कि मध्य एशिया और भारत के बीच एक एंट्री गेट बनाने के लिए जम्मू कश्मीर की सीमाओं को खोलना चाहिए.

इल्तिजा मुफ्ती ने कहा है कि कश्मीर को स्व-शासन की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. पाकिस्तान और हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ बातचीत की वकालत करते हुए उन्होंने कहा, 'जम्मू कश्मीर के लोग राजनीतिक रूप से बहुत जागरूक हैं. जम्मू कश्मीर मुद्दे को सभी पक्षों को साथ लेकर हल करने की जरूरत है.'

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'BJP चाहती है विपक्ष मुक्त भारत'

इल्तिजा मुफ्ती का आरोप है कि केंद्र सरकार चाहती है कि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस हुर्रियत की जगह लें. उन्होंने साथ ही यह भी आरोप लगाया कि केंद्र जम्मू-कश्मीर को एक प्रयोगशाला में बदलना चाहता है क्योंकि वे विपक्ष मुक्त भारत चाहते हैं. 

क्यों पाकिस्तान और हुर्रियत से बातचीत चाहती हैं इल्तिजा मुफ्ती?

इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी मानव समर्थक है और लोगों की समस्याओं का समाधान चाहती है. जम्मू कश्मीर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और मध्य एशिया से उसकी कई चीजें मिलती जुलती हैं. 

इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, 'सरकार को अवसर का उपयोग करना चाहिए और आर्थिक एकीकरण के लिए सीमाओं को अप्रासंगिक बनाने के साथ ही स्व-शासन, व्यापार और लोगों की आवाजाही की सुविधा देनी चाहिए.'

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उज्बेकिस्तान के समरकंद में 15 और 16 सितंबर को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसे कश्मीर में आयोजित करना चाहिए था. 

'मध्य एशिया और भारत के बीच कश्मीर बने कड़ी'

इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, 'जम्मू कश्मीर को खोल दें, इसे मध्य एशिया और भारत के बीच एक आर्थिक केंद्र और प्रवेश द्वार बनने दें. नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी सहित मुख्यधारा के पांच राजनीतिक दलों के गठबंधन- पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लयरेशन अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए संघर्ष कर रहा है और यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि लोगों ने इसके साथ अपनी उम्मीदें बांध रखी हैं.'

गुपकार गठबंधन पर क्या बोलीं इल्तिजा मुफ्ती?

इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि पीएजीडी को अधिक सक्रिय, अधिक सतर्क होना चाहिए और पार्टी के हितों को दरकिनार करके वास्तविक अर्थों में एकता पर काम करना चाहिए. हमारे विशेष दर्जा और पहचान पर हमला हो रहा है और हमें इसकी रक्षा करनी है.



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इल्तिजा मुफ्ती इससे सहमत नहीं थीं कि पीएजीडी वेंटिलेटर पर है. जम्मू कश्मीर से 10 लाख सुरक्षाकर्मियों को बाहर निकालो, आपको देखेंगे कि वेंटिलेटर पर कौन है. उन्होंने यह भी दावा किया कि उसके परिवार को झुकाने के लिए दबाव की रणनीति का इस्तेमाल किया जा रहा है. 

बीजेपी पर फूटा इल्तिजा मुफ्ती का गुस्सा

भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर अनुच्छेद 370 को विकास और महिलाओं एवं हाशिये पर रहने वाले वर्गों को अधिकार देने में अवरोधक के रूप में पेश करके देश में दुष्प्रचार अभियान शुरू करने का आरोप लगाया. 

साल 2017 में एक सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर मानव सूचकांक 0.68 था, जो गुजरात से अधिक था और हम जीवन प्रत्याशा, महिला साक्षरता और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में नंबर एक थे. आज हमारी बेरोजगारी दर 56 प्रतिशत है, भर्ती प्रक्रिया में घोटाला हुआ है और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है. लोगों की भलाई के लिए अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने का दावा निराधार है. 

'अच्छा नहीं है कश्मीर के लिए बीजेपी का इरादा'

बीजेपी पर आरोप लगाते हुए इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, 'उनका कोई अच्छा इरादा नहीं है, क्योंकि वे कश्मीर को एक सैन्य, एक कानून व्यवस्था और एक धार्मिक समस्या के रूप में देखते हैं. चूंकि वे इस मुद्दे को धार्मिक चश्मे से देखते हैं, इसलिए वे जिस समाधान को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं, वह है जनसांख्यिकी आधार को बदलना और लोगों को आर्थिक रूप से कमजोर करना.'

इल्तिजा मुफ्ती ने दावा किया कि बीजेपी सरकार इस वास्तविकता को नजरअंदाज करते हुए लोगों को दबाने की कोशिश कर रही है कि कश्मीर एक मानवीय और राजनीतिक मुद्दा है तथा यह एक सशक्त भावना है, जिसके समाधान की जरूरत है. (इनपुट: भाषा)

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