Mewar के राजकुमार ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा- 'G-20 मीटिंग के लिए हमसे लेनी चाहिए थी अनुमति'

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 11, 2022, 02:22 PM IST

पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर की शिकायत

Mewar G 20 Summit: मेवाड़ में होने जा रहे जी-20 के शेरपाओं की बैठक से पहले सिटी पैलेस में होने वाले आयोजन को लेकर ही विवाद शुरू हो गया है.

डीएनए हिंदी: राजस्थान के मेवाड़ जिले में स्थित सिटी पैलेस में G-20 देशों के शेरपाओं की मीटिंग होनी है. मेवाड़ सिटी पैलेस (Mewar City Palace) के दरबार हॉल को आयोजन स्थल बनाए जाने के बाद संपत्ति को लेकर विवाद शुरू हो गया है. अब मेवाड़ के राजकुमार विश्वराज सिंह (Prince Vishwaraj Singh) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर नाराजगी जताई है. विश्वराज सिंह ने पीएम मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंर और जी. किशन रेड्डी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि विवादित जगह पर आयोजन कराने से पहले औपचारिक तौर पर मंजूरी लेनी चाहिए थी.

विश्वराज सिंह, दिवंगत महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ के बेटे हैं. अपनी चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि सिटी पैलेस संयुक्त हिंदू परिवार का हिस्सा है और इस पर वर्षों से कानूनी विवाद चल रहा है. इसे आयोजन स्थल बनाने से पहले इसके मालिकों की मंजूरी लेनी चाहिए थी. बता दें कि इस पैलेस को लेकर दो भाइयों महेंद्र सिंह मेवाड़ और अरविंद सिंह मेवाड़ के बीच विवाद चल रहा है. फिलहाल, इस पर अरविंद सिंह मेवाड़ का कब्जा है.

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पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर जताई नाराजगी
राजकुमार विश्वराज सिंह ने अपने चिट्ठी लिखा है, 'मेरे पिता महाराणा महेंद्र सिंह जी हमारे परिवार के मुखिया हैं और हमें स्थानीय समाचार पत्रों से पता चला है कि G-20 की बैठक उदयपुर में सिटी पैलेस में होने वाली हैं. जहां बैठक होने वाली है, वहां हमारी कई पारिवारिक संपत्तियां हैं, जिसकी सीमाएं भारत संघ के साथ उदयपुर-मेवाड़ राज्य के एकीकरण के बाद तय की गई थीं.' विश्वराज सिंह ने कहा कि अगर प्रेस में आ रही खबरें सही हैं तो यह हमारे अधिकारों का उल्लंघन है. संपत्ति के मालिकों की अनुमति के बगैर वहां इस तरह के आयोजन नहीं किए जाने चाहिए.

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उन्होंने लिखा है, 'ऊंचे पदों पर बैठे लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने पद की गरिमा की रक्षा करेंगे, ताकि कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन न हो. ऐसे मामलों में निचले अधिकारियों को क्या संदेश भेजा जा रहा है जिन्हें यह सुनिश्चित करना है कि अदालत के आदेशों और कानून के अन्य प्रावधानों का उल्लंघन न हो.'

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