'साइरस मिस्त्री की ब्रिटिश शिक्षा ने मुझे अंधा कर दिया', रतन टाटा की जीवनी से हुआ बड़ा खुलासा

Written By अनामिका मिश्रा | Updated: Oct 26, 2024, 07:56 AM IST

रतन टाटा ए लाइफ, थॉमस मैथ्यू द्वारा लिखित रतन टाटा की जीवनी है. इसे शुक्रवार को हार्पर कॉलिन्स इंडिया द्वारा जारी किया गया है.

रतन टाटा की जीवनी, रतन टाटा ए लाइफ को हार्पर कॉलिन्स ने 2022 में 2 करोड़ रुपये में खरीदा था, जो एक गैर-काल्पनिक कृति के लिए अभूतपूर्व राशि है. लेखक थॉमस मैथ्यू कई बड़ी भारतीय कंपनियों के बोर्ड में काम करते हैं. इस पुस्तक में टाटा के जीवन से जुड़े कई खुलासे हुए हैं. पुस्तक में बताया गया है कि कैसे मिस्त्री का चुनाव परिस्थितिजन्य था. जब चुनाव समिति उपयुक्त उम्मीदवार को चुनने में विफल रही, तब 'टाटा समूह के प्रबंधन में सफलता के प्रमुख कारकों' पर मिस्त्री द्वारा प्रस्तुत एक पेपर की जांच करने के बाद, उनका इंटरव्यू लिया गया और उन्हें अध्यक्ष पद के लिए चुना गया.

रटन टाटा ने कही ये बात 
"साइरस मिस्त्री की ब्रिटिश शिक्षा ने मुझे अंधा कर दिया. मैंने भोलेपन से सोचा कि इतनी प्रभावशाली शिक्षा वाले व्यक्ति का डीएनए अलग होगा," रतन टाटा ने इस बात पर टिप्पणी की कि उन्होंने टाटा साम्राज्य का नेतृत्व करने के लिए मिस्त्री को क्यों चुना. उन्होंने अपने उत्तराधिकारी का चयन करने वाली समिति को अल्टीमेटम देने पर भी खेद व्यक्त किया कि वे "28 दिसंबर, 2012 को पद छोड़ देंगे", जिससे समिति पर अनावश्यक दबाव पड़ा और यही पैनल द्वारा 'जल्दबाजी में काम करने' का मुख्य कारण था, जिसके परिणामस्वरूप मिस्त्री का चुनाव हुआ. किताब में बताया गया है कि कैसे रतन टाटा चेयरमैन के तौर पर मिस्त्री के फैसलों से सहमति नहीं रखते थे और उन्हें लगा कि इससे ग्रुप की साफ-सुथरी छवि और निष्पक्ष खेल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है. किताब में विस्तार से बताया गया है कि कैसे मिस्त्री ने ग्रुप को उसके मुख्य क्षेत्रों जैसे कि इंफ्रास्ट्रक्चर से बाहर के कारोबार में ले जाने पर आशंकाएं जताई थीं, जहां 'रिश्वत और भ्रष्टाचार' रतन टाटा के नाम के लिए समस्या पैदा कर सकते थे.


ये भी पढ़ें-मुकेश अंबानी या नीता अंबानी में से किसकी चलती है? रिलायंस चेयरमैन ने खुद ही खोला राज


किताब में लिखी ये बात 
मिस्त्री के खिलाफ असंतोष के बीज तब बोए गए जब उन्होंने महत्वपूर्ण निर्णयों पर टाटा ट्रस्ट से परामर्श करना बंद कर दिया. इस किताब में मिस्त्री के काम पर टाटा समूह के कई दिग्गजों ने भी की टिप्पणियां की है. हालांकि, किताब में बताया गया है कि, मिस्त्री को हटाने का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया था. रतन टाटा ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के डीन नितिन नोहरिया को, जिन्हें टाटा संस के बोर्ड में शामिल किया गया था, मिस्त्री का समर्थन करने का काम सौंपा और कहा और यह देखना है कि क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे आप मिस्त्री की सफलता में मदद कर सकते हैं. लेकिन जल्द ही अफवाहें फैलने लगीं कि रतन टाटा मिस्त्री के काम में हस्तक्षेप कर रहे हैं और नए चेयरमैन के प्रदर्शन को रोक रहे हैं. रतन टाटा ने इसे आंतरिक रूप से निपटाने की कोशिश की लेकिन दोनों के बीच की केमिस्ट्री खराब हो गई और समूह का प्रदर्शन भी गिर गया.

मिस्त्री को हटाने का फैसला अक्टूबर 2016 में लिया गया था और लेखक ने लिखा कि 'रतन टाटा जानते थे कि उन्हें गलत समझा जाएगा और उनकी आलोचना की जाएगी और यह कदम उनकी प्रतिष्ठा के लिए साबित हो सकता है'. 

ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें  हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.