Ban on PFI: पीएफआई को लेकर केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, 5 साल के लिए लगाया बैन

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Sep 28, 2022, 06:38 AM IST

Ban on PFI: दिल्ली समेत देश के 8 राज्यों में सुरक्षा एजेंसियों ने पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी की थी. इसमें 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया

डीएनए हिंदीः केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), उसके सहयोगियों और तमाम मोर्चों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने इन्हें गैरकानूनी घोषित कर दिया है. इन सभी पर सरकार ने 5 साल का बैन लगाया है. गृह मंत्रालय की ओर से देर रात इस संबंध में आदेश पास कर दिया गया. चर्चा थी कि सरकार सप्ताह भर में इस संस्था को बैन कर सकती है. हालांकि सरकार ने मंगलवार को पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी के बाद बैन के आदेश को आधिकारिक गजट में भी प्रकाशित कर दिया. 

क्या है पीएफआई?   
बता दें कि पीएफआई की स्थापना 2006 में केरल में की गई थी. संस्था का दावा है कि वह देश में हाशिये पर पड़े वर्गों के सशक्तिकरण का काम कर रहा है. हालांकि सुरक्षा एजेंसियों को लगातार इसके खिलाफ सबूत मिल रहे थे. एजेंसियों का दावा है कि वह कट्टर इस्लाम का प्रचार कर रहा है. सीएए से लेकर राजस्थान के कन्हैया लाल हत्याकांड में भी इस संगठन का नाम सामने आया था. 

  
गल्फ देशों से फंडिंग के मिले सबूत
पिछले दिनों पीएफआई के ठिकानों पर NIA की छापेमारी के बाद कई अहम सबूत हाथ लगे हैं. केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से कंपनियों के जरिये गल्फ देशों में काम करने गए हजारों लोग पीएफआई को हर महीने फंडिंग करते हैं. सूत्रों का कहना है कि यूएई और अरब देशों में इन्हीं मेन पावर सप्लाई के जरिये गये 30 हज़ार से ज्यादा पीएफआई के काडर या उससे सहानुभूति रखने वाले मुस्लिम पीएफआई को फंडिंग करते हैं. इन सभी से हर महीने 100 दिरहम की फंडिंग पीएफआई को करनी होती है. यानी सभी मिलकर 3 मिलियन दिरहम की फंडिंग हर महीने पीएफआई को करते हैं. वहीं देश के कई मस्जिदों और मदरसों से भी होती है पीएफआई को फंडिंग की जाती है. जांच में केरल के कुछ एनजीओ के भी नाम सामने आये हैं जिनके जरिये गल्फ देशों से पीएफआई को फंडिग की जाती है.  

 

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