डीएनए हिंदी: राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने रविवार को जाति व्यवस्था पर तंज कसा और कहा कि यह भगवान नहीं पंडितों की देन है. भागवत ने कहा, भगवान ने कभी किसी को नहीं बांटा. भगवान ने हमेशा कहा कि हम सब एक हैं. उनके यहां कोई जाति या वर्ण नहीं है. पंडितों ने इसे बांटा. पंडितों ने वर्गों में, जातियों में बांट दिया, जो गलत था. समाज के बंटने से पहले देश पर आक्रमण हुए, फिर बाहर से आए लोगों ने इस सामाजिक बंटवारे का लाभ उठाया. यदि ऐसा नहीं होता तो हमारी तरफ नजर उठाकर देखने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी. उन्होंने कहा, हिंदू-मुस्लिम सभी एक बराबर हैं. सभी भारतवासी हैं.
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रामचरित मानस विवाद पर बोल रहे थे संघ प्रमुख
दरअसल संघ प्रमुख रविवार को मुंबई में संत रोहिदास जयंती (संत रविदास जयंती) के कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित मानस की चौपाई को लेकर पूरे देश में चल रहे विवाद को लेकर मंच से यह टिप्पणी की. भागवत ने कहा, समाज में अपनापन खत्म होने पर स्वार्थ अपने आप बड़ा हो जाता है. उन्होंने यह कमेंट रामचरित मानस को लेकर कई नेताओं की तरफ से दिए गए अभद्र बयानों को लेकर किया. उन्होंने लोगों से सवाल किया, क्या देश में हिन्दू समाज के नष्ट होने का भय दिख रहा है? यह बात ब्राह्मण नहीं बताएगा, आप खुद समझिए. हर रोजगार का मतलब समाज के प्रति जिम्मेदारी भी होता है. जब हर काम समाज के लिए है तो कोई ऊंचा या दूसरा नीचा कैसे हो गया?
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परिस्थिति कैसी भी हो, धर्म मत छोड़िए
भागवत ने कहा, संत रविदास हों या कोई अन्य बुद्धिजीवी, सभी के अपनी बात कहने का तरीका अलग-अलग था, लेकिन किसी ने भी धर्म छोड़ने के लिए नहीं कहा. सभी ने हमेशा यही कहा कि परिस्थिति कैसी भी हो, धर्म मत छोड़िए. अपने धर्म से हमेशा जुड़े रहिए.
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एक ही हैं हिन्दू और मुसलमान
भागवत ने कहा, हिन्दू और मुसलमान सभी एक ही हैं. उन्होंने शिवाजी महाराज के औरंगजेब को काशी का मंदिर टूटने पर लिखे पत्र की याद दिलाई. उन्होंने कहा, शिवाजी ने कहा था, हिंदू हो या मुस्लिम सभी ईश्वर की संतान हैं. आपके राज में यदि एक के ऊपर अत्याचार हो रहा है तो गलत है. आपका कर्तव्य सबका सम्मान करना है वरना मैं तलवार से इसका जवाब दूंगा.
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संत रविदास ने दिए थे चार मंत्र
भागवत ने कहा, संत रविदास कभी शास्त्रार्थ में भले ब्राह्माणों से नहीं जीत सके, लेकिन वे लोगों के मन के करीब थे. उन्होंने समाज को भगवान के होने का यकीन दिलाया. साथ ही समाज को 4 मंत्र दिए- धर्मानुसार कर्म करो, समाज जोड़ो, सतत परिश्रम करो और सामाजिक उन्नति के लिए काम करो.
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