MP Bypolls: उपचुनाव में BJP के लिए अपने बने चुनौती, जानें कहां फंस रहा मामला

Written By आदित्य प्रकाश | Updated: Oct 23, 2024, 03:29 PM IST

दोनों सीटें पर 13 नवंबर को वोटिंग होने वाली है. बुधनी सीट को लेकर रमाकांत भार्गव और विजयपुर को लेकर वन मंत्री रामनिवास रावत को कैंडिटेट बनाया गया है. इसको लेकर जमकर चुनावी तैयारियां की जा रही हैं.

एमपी में विधानसभा को लेकर उपचुनाव होने वाले हैं. इसके तहत दो सीटों पर मतदान होंगे. बीजपी की ओर से दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतारे गए हैं. वहीं पार्टी के लिए अब उनके नेता ही चुनौती बनते जा रहे हैं. बात करें बुधनी विधानसभा सीट की तो वहां पार्टी के कैंडिडेट रमाकांत भार्गव के विरोध प्रारंभ हो गया है. एसपी की दो विधानसभा सीटों पर चुनाव होते हैं, जिनमें एक सीट सीहोर जिले से है. ये बुधनी सीट है. एक सीट श्योपुर जिले की है. ये सीट विजयपुर है. दोनों सीटें पर 13 नवंबर को वोटिंग होने वाली है. बुधनी सीट को लेकर रमाकांत भार्गव और विजयपुर को लेकर वन मंत्री रामनिवास रावत को कैंडिटेट बनाया गया है. इसको लेकर जमकर चुनावी तैयारियां की जा रही हैं.

क्या है सियासी समीकरण
बुधनी विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार रमाकांत भार्गव का विरोध शुरू हो गया है. इसी क्रम में पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह राजपूत, जिन्होंने वर्ष 2005 में शिवराज सिंह चौहान के लिए बुधनी सीट छोड़ी थी, वह खुले तौर पर मैदान में आ गए हैं. भैरूदा में तो मंगलवार को राजपूत के समर्थकों ने एक बैठक तक कर डाली. इस बैठक में पहुंचे पूर्व मंत्री रामपाल सिंह की मौजूदगी में कार्यकर्ताओं ने पार्टी की ओर से तय किए गए उम्मीदवार को लेकर विरोध दर्ज कराया. उम्मीदवार बदलने तक की मांग की. रामपाल ने समझाया तो कार्यकर्ताओं ने उनकी एक नहीं सुनी. परिणामस्वरूप रामपाल को खाली हाथ लौटना पड़ा.

पार्टी के अंदर का असंतोष बन सकता है मुसीबत
इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पर उम्मीदवार रमाकांत भार्गव सहित बुधनी क्षेत्र के नेताओं की बैठक बुलाई गई. इस बैठक में भी राजपूत नहीं पहुंचे थे. कुल मिलाकर राजपूत और उनके समर्थकों के तेवर आक्रामक हैं और यही स्थिति पार्टी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. दूसरी और कांग्रेस छोड़कर .बीजेपी में आए रामनिवास रावत को पार्टी ने विजयपुर से उम्मीदवार बनाया है. रावत के खिलाफ भी पार्टी के कई नेता हैं और वे चुनाव प्रचार करने को तैयार नहीं हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में .बीजेपी की सरकार है और उपचुनाव ज्यादा मुश्किल भरे नहीं होते हैं, फिर भी पार्टी के भीतर असंतोष और विरोध मुसीबत तो खड़ा कर ही सकता है. 

(With IANS Hindi Inputs) 

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